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औरतें...खर्चा...और ..मै

(नारी दिवस पर विशेष)

साहेबान...!! यहाँ भले ही अपनी कोई कदर या पूछ न हो...मगर दुनिया मे तो है।एक के बाद एक चार बेटियाँ होने के बाद...मेरी मां एक बेटे को तरसती थी...॥ 70 का दशक था...मुजफ्फरपुर के नामी सेठ जमनादास के घर पोते ने जन्म लिया तो...दाई ने...जच्चा (मेरी मां) के अंगुली से हीरे की अंगूठी...बतौर इनाम उतार ली थी ...यानी..पैदा होते ही औरतो का कर्ज शुरू...!!

चार बडी बहनो के साये मे परवरिश हुई..॥ हर राखी पर ..11/- 21/- से शुरू हुआ सिलसिला. ..आज 2100/- तक आ गया..! उपर से होली दीवाली भाईदूज और सिंधारा..अलग से।...इससे भी उपर...दस भांजे भांजियो के छूछक और भात .....!! यानि खर्चे से कोई राहत नही.!!

बाबूजी ने...बचपन मे पढने कलकत्ता भेज दिया।हाईस्कूल पास की...फिर कालेज ..!! हम पर भी जवानी की बहारे मेहरबान हुई।दिल मे उलफत का परिंदा परवाज भरने लगा..कालेज की शोनार बंगालन बालाओ का हुस्न रोज घायल करने लगा। कभी शोंपा से इश्क होता तो कभी मौशमी से..!रोज दिल लगाते..रोज दिल टूटता..रोज शाम को देवदास बनते तो अगली सुबह फिर से सलीम।

आखिरकार. ..खुदा को रहम आया..एक हसीन मारवाडी बाला से नजरे चार हुई।।कुछ इधर दिल धडका...कुछ उधर जिया फडका...फिर उलफत का शोला भड़का...॥DDLJ का जमाना था...एक राज और सिमरन...कलकत्ते की गलियो ...सडको..पार्को पर छिप छिपकर मिलने लगे।।बडे घर की बेटी थी...सो इम्प्रेस करने के लिए ...शक्ल के साथ साथ...जेब का सहारा लेते थे..॥ बाऊजी से बहाने बना बनाकर पैसे मांगते थे...और सिमरन को 20/- वाली टिकट पर बालकनी मे सिनेमा दिखाते थे...15/- वाला तिवारी का डोसा खिलाते थे।। यार दोस्त हलाकि कमीने थे...मगर लडकी पर खर्च के लिए दस बीस की मदद कर दिया करते थे...मतलब ये...कि खर्चे का फूलटूस प्रोग्राम था...॥ मगर इस दास्ताने इश्क का अंजाम कुछ यूं हुआ कि...सिमरन..राज की न होकर..कुलजीत की हो गई...उसके बाऊजी ने उसका हाथ न छोड़ा. ..और राज ...ट्रेन मे अकेला बैठकर एम ए की डिग्री और दिल मे दर्द लिए घर लौट आया..॥

खैर...साहेबान..कुछ अरसे बाद किसी और बाऊजी को हमारा थोबडा पसंद आया...और हमारे घर मे शहनाईयां बजी !! मगर...यहाँ भी..आठ सालियां..!! जूता छुपाई पर इन दिल्ली की कुडियो ने वो सौदेबाजी की...अपनी सारी बनिया बुद्धि हार गई..॥ जितना मांगा...झक मार के देना पड़ा. .!!......और अब भी..ससुराल का सबसे बडा जंवाई होने के नाते...कभी भी साली-साढू के साथ आऊटिंग पर जाते है...खर्च का घडा मेरे सर ही फूटता है...॥ सास 2100/- का तिलक करती है...साली 2500/- खर्चा करवा लेती है... !!..साला यहाँ भी घाटा....

अब मिलिये इस गोरी से
मेरी...... प्रेम चकोरी से।।...मेरी घरवाली..!! हमने तो अपनी शादी के सूट से ही कई फंक्शन निपटा दिये...!! मगर...रानी साहिबा को तो हर फंक्शन हर शादी मे...नई साड़ी चाहिए. ..वो भी भारीवाली..साथ मे मैचिंग का ये..वो..जाने क्या क्या..!! ..इसकी तो छोडिये...महीने मे कम से कम एक बार मूवी+डिनर की डिमांड...यानी 2000/- का फटका इस गरीब मारवाडी को..॥...यानी..खर्चा ही खर्चा.

अब बेटियों की भी सुन लो..!! ईश्वर ने दो बेटियाँ दी है...मगर खर्चों के मामलो मे अपनी अम्मा की भी अम्मा है..!! झुनझुने से शुरू हुआ सिलसिला. ..खिलौनो...गेम...फिर टेबलेट...से अब 30000/- वाले लैपटाप की डिमांड तक आ पहुँचा है..!!..कर लो बेटा कमाई...

......मगर...लेकिन. ..किंतु. ..परंतु. ...!!

एक तरफ मोल वाले चंद सिक्के है...दूसरी तरफ...इन सभी की मोहब्बत. ..स्नेह. .ममता और त्याग का अनमोल खजाना है...जो इन औरतो/लडकियो ने मुझपर बेशुमार लुटाया है....

कैसे भूल सकता हूं....

उस दाई मां का उपकार...जिसने मेरा बचपन संवारा...

उन बहनो का स्नेह. ..जो वो मां से भी बढकर करती है..मेरी व्यक्तिगत..सामाजिक. .मानसिक और आर्थिक परेशानियों मे हमेशा मेरे साथ खडी रहती है...

कलकत्ते के उस अल्हड उम्र का प्यार. ..जिसने एक अच्छा इंसान बनने मे अनजाने ही मेरी बडी मदद की...

उन प्यारी सालियो का साथ....जिसने मुझे हंसने मुस्कुराने खिलखिलाने की हजार वजह और मौके अता किये है

अपनी पत्नी की बेशर्त मोहब्बत. ....जो मेरे हर दुख सुख की साथी है।जिसने अपना वजूद मेरी मामूली हस्ती के सामने मिटा रखा है...जो मेरी सबसे बडी ताकत है...

मेरी नन्ही बेटियों की मासूम मुस्कान. ..जो मेरे जीने की वजह है...!!

और इन से उपर ...उस औरत का कर्ज जिसने इस लायक बनाया कि ...कुछ खर्चा कर सके...जिसने सिर्फ दिया ही दिया है....मेरी मां...!!

इतनी बडी तहरीर लिखने का मकसद फकत इतना पैगाम देना है कि...हम औरतो की इज्जत करे...उनसे प्यार करे...तभी दो जहाँ के मालिक को शक्ल दिखाने के काबिल होगे...!!

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