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Studied Chemistry at University of Mumbai, Writes on Several Topics.
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इस खेल में पल्टियाँ होंगी, U टर्न होंगे; ये खेल ही कुछ ऐसा है ...

कोई तो खेल खेला ही होगा आप ने । खेल में हमेशा कम से कम दो लोग तो होते ही हैं, तभी हार जीत होती है । आप यह भी जानते हैं कि आप जो करते हैं उसकी काट आप के विरोधी के पास होगी या फिर वो भी कोई ऐसी चाल चल लेगा जिससे आप को अपनी स्ट्रेटजी आनन फानन बदलने पड सकती है ।

मल्टी प्लेयर गेम्स भी खेले होंगे आप ने जहां दो से अधिक खिलाडी होते हैं । अब मान लीजिये कि बाकी सभी खिलाड़ी अपनी अपनी तरह से जीतने के लिए नहीं बल्कि आप को हराने में ही अपनी ऊर्जा लगाते हैं, आप को हराना ही उनके लिए जीत है । वे एक टीम है या नहीं आप को पता नहीं; हो भीं सकते हैं, नहीं भी हों सकते हैं, लेकिन आप को हराना उनका एक समान कार्यक्रम है और उसके चलते वे एक टीम बन भी सकते हैं । या फिर दूसरेकी चाल को समझकर तीसरा अपनी चाल चलेगा, चौथा उन दोनों की चालें समझकर अपनी चाल चलेगा । कुल मिलाकर वे एक दूसरे के पोषक न हों तो भी आप के लिए नुकसानकारी ही होंगे ।

अपनी चालें बदलते रहना ही आप के लिए अनिवार्य है क्योंकि यह लोकतन्त्र है, सोमनाथ की गायों का सम्मान भी करना पड़ता है और उसके बावजूद गजनी पर वार करने की तरकीबें ढूंढनी पड़ती हैं । आप की सेना को तकलीफ होगी और विरोधी इस बात को लेकर भी हल्ला मचाएंगे कि आप नायक होने के लायक नहीं । पूरी कोशिश करेंगे आप के लोगों का मनोधैर्य तोड़ने का की वे गलत आदमी के पीछे चल रहे हैं। वास्तव में यह भी एक चाल ही है । और जब बात खेल न रहकर युद्ध बन जाती है तो केवल जीत ही महत्व रखती है, नियम बेमानी हो जाते हैं ।

नोटबंदी की बात कर रहा हूँ यह तो आप अबतक समझ ही गए होंगे । हमारे आप के भरोसे और भले के लिए ही मोदी जी ने यह लड़ाई छेड़ी है इसमें मुझे संशय नहीं क्योंकि उनको कोई अपना घर भरना नहीं । इसमें उनका साथ देने से ही हमारा हित साध्य होगा । पलटियाँ, U टर्न, सब दिखाई देंगे और वे अनिवार्य भी होंगे क्योंकि यह एक मल्टी प्लेयर युद्ध ही है । उनमें से कुछ प्लेयर मोदी जी के टीम में भी बैठे हैं और अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं ।

वैसे युद्ध की बात है तो वहाँ यह नहीं होता कि शुरुवाती ऑर्डर अंत तक कायम रहे । परिस्थितियाँ बदलती हैं, व्यूहरचनाएँ बदलती हैं । बदलनी ही पड़ती हैं । नए ऑर्डर का तुरंत पालन कर लेना चाहिए नहीं तो जान से हाथ धो बैठना पड़ता है । पुरानी ऑर्डर को ले कर ‘हम तो वही करेंगे जो तब कहा गया’ कहें और अड़े रहें तो आप का नुकसान होगा ही, आप के कारण अपनी सेना का भी नुकसान होगा यह पक्का समझें ।


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