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छोटी सी बात

छोटे बच्चो के लिए तो सभी के हृदय मे प्यार दुलार उमडता है। मगर मेरे साथ कुछ ऐसा नही है कि छोटे बच्चो को प्यार करने करते समय जरा सा सिर पर हाथ फेर दिया ...गाल खींच दिये...हल्की सी पप्पी ले ली..lll मै तो बच्चे को घचोल मचोल देता हूं...दस बीस पुच्चियां एक साथ ले लेता हू..उनके गालो मे दाढी रगड देता हूं...उनको हवा मे उछालकर कैच करता हूं..ll मतलब ये कि मेरा दुलार जरा वायलेंट होता है और अकसर मेरे दुलार का शिकार बच्चा बेचारा सहम जाता है कि उनके साथ प्यार हो रहा है या जुल्म...lll

मेरे दोनो बडेवाले बच्चे और मेरे छोटे भाई का बेटा ...मेरी ऐसी ही ज्यादतियो को सहते सहते आखिर बडे हो गये और अब मेरी छोटी बेटी कनक जो चार साल की है वो रोजाना कई बार मेरे ऐसे वायलेंट दुलार का शिकार होती है। सारे दिन मे जब भी वो मेरे सामने आती है ...उसका और मेरा द्वन्द चलता रहता है । मै उससे पुच्ची मांगता हूं...वो इठलाकर इन्कार करती है और फिर मै बलप्रयोग से उसकी पुच्चियां कर ही लेता हूं । वो रूठकर दिखाती है... मगर जानती है कि ये पापा की आदत है और "बुरी" तो नही है । हालत ये है कि वो जानती है कि यदि घंटे दो घंटे बाद मेरे सामने आयेगी तो पापा छोडने वाले नही है... और अपनी इस अहमियत को वो खूब इनजाॅय भी करती है ।

मेरे निवास स्थान का सिस्टम कुछ ऐसा है कि सारे ग्राऊंड फ्लोर पर मेरी शाॅप और गोदाम है ...और प्रथम मंजिल पर हमारा निवास..ll

कल की बात..lll कनक ने स्कूल की छूट्टी कर रखी थी। मै नियत समय पर दुकान पर चला गया । सुबह की डिलीवरी वगैरह निपटाने के बाद ...खाली सा बैठा था। कई दिनो से एकाऊंट पेंडिंग पडे थे...सी ए का रोज फोन आता था कि तीसरी तिमाही तक के सारे फीगर prooerly up to date करके भेजो। "आज यही काम निपटा लेते है.."...मन ही मन निश्चय करके मैने अपने काऊंटर पर कैश बुक...लेजर..चेक बुक...कैलकुलेटर... फाईले वगैरह बिखरा ली और मनोयोग से एकाऊंट मे लग गया ....और मुंशी को ताकीद कर दी छोटी मोटी बात के लिए डिस्टर्ब न करे..ll

कोई बारह बजे होगे ...जबकि कनक ऊपर से नहा धोकर ...अच्छे अच्छे कपडे पहनकर... बिलकुल परी बनकर नीचे आई ll मेरा सारा ध्यान एकाऊंट्स मे लगा था । वो थोडी देर दुकान मे मटरगश्ती करती रही...मुंशी और ठेलेवाले के साथ खेलती रही..ll मैने उसकी ओर कोई ध्यान नही दिया और अपने काम मे लगा रहा। इस दौरान वो मेरे पास भी आई और मेरे कागज वगैरह बिखराने लगी ...। काम की लगन मे मैने उसे कह दिया कि वो ऊपर चली जाय मम्मी के पास...और काम मे लग गया । वो अनमनी सी मुझे देखती रही । अब ये उसके लिए एक नयी बात थी कि वो पापा के सामने आई और पापा ने उसे प्यार दुलार नही किया...पुच्ची नही मांगी..ll अब सी ए और सरकार की बाध्यता वो क्या जाने..!!!

उसे तो लग रहा था कि पता नही पापा को क्या हो गया है..?? आखिर उसने मम्मी के पास जाने का मन बना लिया ।। मगर आखिर भोला और निष्कपट हृदय..!! दुकान से बाहर निकलने के क्रम मे पांच छः कदम चली ..फिर रूककर मेरी तरफ मुडी और अपने मासूम चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोली.." पापा ...आज कुछ भूल गये..?"

मै फिर भी नही समझा..मैने फाईल पर आंखे गडाये पूछा.." क्या.?"

वो नन्हे कदमो से दौडती हुई मेरी निकट आई... लपक कर मेरी गोद मे चढ गई और मेरे गाल पर पप्पी करती हुई बोली..." पुच्ची...!!" ..उसके कहने का अंदाज कुछ ऐसा था मानो कितना बडा रहस्योदघाटन कर रही हो..ll

इतना बोलकर मेरे सीने मे मुंह छिपा लिया। मेरे हृदय मे तब ममता का वो ज्वार भाटा उठा कि बस..!!! जेहन से एकाऊंट के सारे फीगर विलीन हो गये..ll "भाड मे जाये एकाऊंट्स..!!" मैने सारे कागज पत्तर वगैरह जस के तस छोडे ...और उसे पहले जीभर के प्यार किया और गोद मे उठाकर उसे ऊपर ले गया। फिर अगले एक घंटे तक बाप बेटी खेलते रहे जिस दौरान उसने मुझे आनेवाले रविवार को पार्क और होटल ले चलने की हामी भी भरवा ली ....lll

बिटिया के चेहरे पर खिली वो मुस्कान और उसका ये गुमान कि.. पापा के लिए उसकी पुच्ची से बढकर कुछ नही ..बनाये रखना ही तो सबसे जरूरी है..lll

फिर एकाऊंट देर रात तक जागकर निपटा दिये..

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