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मच्छर एक बहुत छोटासा जीव है, सही है ना ? गलती से भी छू लिया तो मर ही जाये इतना नाजुक और भंगुर शरीर होता है उसका । काटकर खून पीता है हमारा तो क्या हुआ, पी पी कर ऐसा कितना खून पिएगा ? एक मिली भी नहीं पी सकता, अरे एकाध बूंद से अधिक तो डेंगू का मच्छर भी नहीं पी सकता । ऐसे भी हमारे शरीर में खून की इतनी कमी कभी नहीं होती कि एकाध मच्छर को खून का एकाध बूंद पिलाकर उसे जिंदा न रख सके । रक्तदान महादान कहा भी गया है, यहाँ तो सीधे सीधे आप का रक्त उन्हें जीवनदान दे रहा होता है ।


और तो और, हमारी संस्कृति, हमारे सभी धर्म हमें जीव के जीने के अधिकार का सम्मान करना सिखाते हैं, तो फिर हम मच्छर देखते ही उसके पीछे पड़कर उसे जान से मारने की ही पूरी कोशिश क्यों करते हैं ? क्यों नेट लगाकर उसे हम से दूर रखने का यत्न करते है ? आखिरकार उसे जन्म देनेवाला भी वही ईश्वर है जिसे आप को दुनिया में लाया है । तो फिर क्यों हम मच्छरों के right to life का सम्मान नहीं करते ? क्यों हम उन्हें रोज एक मिली रक्त दान नहीं करते ? कम से कम बीस मच्छर तो रोज ताकत से जिंदा रहेंगे, सोचिए बीस जीवों को जीवित रखने का इससे कम खर्चे का कोई दूसरा उपाय किसी ने आज तक बताया है ? कितना पुण्य आप को मिलेगा, क्या नहीं ?

हाँ तो फिर, क्यों हम मच्छर देखते ही चलबिचल हो जाते हैं और या तो उसे मारे बिना या भगाये बिना – ज़्यादातर मारे बिना ही – चैन से बैठ नहीं सकते ? अगर आप के संतान के आसपास मच्छर मँडराते देखा तो आप क्यूँ उस मच्छर की जान के प्यासे हों जाते हैं ? आपकी संतान बचपन से ही बड़ा पुण्य जोड़ती जाएगी रक्तदान-महादान का, क्या यह आप की समझ में नहीं आता ? क्यूँ आप मच्छर को मारना ही चाहते हैं, क्यूँ आप उसे मारने के लिए मशीनें लाते हैं, बैटरि वाले रैकेट्स लाते हैं, केमिकल्स छिड़कते हैं ताकि उसका सपरिवार वंशच्छेद हो जाये ?

अगर आप ने सोचा है कि आज मैंने सवेरे सवेरे कुछ गलत चीज खा ली है और आप मुझे मच्छर को क्यूँ मारना ही चाहिए इसके कारण बताने की सोच रहे हैं तो मुझे केवल इतना कहना है कि मच्छर की जगह पर कम्युनिस्ट रखकर फिरसे पढ़िएगा, बस, बाकी मुझे कुछ नहीं कहना । आपके सभी कारण बिलकुल सही हैं, मैं आप के उन कारणों से 100% सहमत हूँ और वे कारण कम्युनिस्टों पर ठीक उतने ही लागू होते हैं |

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