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Studied Chemistry at University of Mumbai, Writes on Several Topics.
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2% में क्या बिकता है ?

कॅशलेस पर सब से अधिक रोना सुनाई देता है कि कार्ड पर बैंक 2% टैक्स वसूलती है और इसका नुकसान बीजेपी को उठाना होगा । आइये कुछ जानकारी हासिल करते हैं । वैसे अगर इसमें कोई तथ्यों के साथ सुधार कर सकता है तो ही स्वागत है, ‘भसड़’ में आनेवाले कमेंट्स डिलीट होंगे ।

१ बैंक आप से ट्रैंज़ैक्शन चार्ज लेती है, टैक्स नहीं ।

२ जब दुकानदार यह मशीन लगवाता है तो बैंक की यह शर्त को स्वीकार कर लेता है कि बिक्री मूल्य पर बैंक को ट्रैंज़ैक्शन चार्ज देगा । आप से यह एक्स्ट्रा वसूलने का उसे अधिकार नहीं होता, वो आप से बैंक के नाम पर झूठ बोलकर लेता है । लगाए कीमत में यह अन्तर्भूत होता है, ये देखना रोचक होगा कि क्या वो दो % बैंक को दिये जाते हैं या नहीं ।

३ मजेदार बात यह है कि विमुद्रीकरण के बाद – नोट, विमुद्रीकरण के बाद – रु. २००० की खरीद पर चार्ज नहीं है। याने आप की खरीद २००० तक है तो चार्ज नहीं, लेकिन २००० के ऊपर है तो पूरे रकम पर चार्ज है ।

४ चार्ज १.५% तक है वह भी क्रेडिट कार्ड पर, डेबिट कार्ड में ०.७५%। बात समझ गए ही होंगे, डेबिट कार्ड में बैंक का कोई रिस्क नहीं, आप के खाते में है तो ट्रैंज़ैक्शन ओके होगा नहीं तो नहीं । क्रेडिट कार्ड में लिमिट की बात होती है, आप के बैलेन्स की नहीं । आप से जब तक बैंक पैसे नहीं पाती तब तक आप की खरीद बैंक के लिए रिस्क है, दुकानदार के पैसे देने की ज़िम्मेदारी बैंक की होती ही है ।

खैर, लेकिन यह समाज का पोषणकर्ता बीजेपी का निष्ठावान मतदाता ईमानदार दुकानदार आप से २ % लेगा । याने अगर २००० से कम है तो पूरे २%, डेबिट कार्ड से खरीदते हैं तो १.२५% और क्रेडिट कार्ड से खरीदते हैं तो ०.५% अधिक ।

पैसों की एक विशिष्टता होती है, जो रु ब रु बात में ही समझ में आती है, कीमत को महत्व सापेक्षता से दिया जाता है । “हजार रुपैया” इस तरह से भी कहा जा सकता है कि यह कोई मायने ही नहीं रखता और इस तरह से भी कहा जा सकता है कि पृथ्वीमोल हैं । मजे की बात ये है कि एक ही आदमी अलग अलग व्यक्तियों से या अलग अलग परिस्थितियों में इन दोनों तरह से बात कर सकता है । अनुभवित है । यह टकों का महत्व अब लोग समझाएँगे वहाँ यही देखने मिलेगा ।

वैसे यह सवाल जब किया जाता है कि मॉल में MRP से अक्सर कम ही दाम होता है और वहाँ २% एक्सट्रा नहीं होता तो उसके भी कारण ये समाज के पोषणकर्ता बीजेपी के निष्ठावान मतदाता ईमानदार दुकानदार आप को समझाएँगे । मॉल नया है, भाड़ा नए रेट से ही देता होगा, सब सेंट्रल एसी के भी पैसे लगते हैं, सब डेकोरेशन, advertisement आदि भी खर्चा आप से अधिक होता है यह बात इन्हें मत समझाइए । मूल समस्या यह है कि अगर सब कॅशलेस करेंगे तो सब रेकॉर्ड पर आयेगा । और पूरा काम रेकॉर्ड पर रख कर करना आदरणीय परंपरा के विरोध में है । इसलिए परंपरा को छेड़नेवाले मोदीजी को यह महंगा पड़ेगा यह उनकी ही गलती है, बीजेपीवालों को तो समाज के पोषणकर्ता बीजेपी के निष्ठावान मतदाता ईमानदार दुकानदार समझा चुके हैं कि उन्हें निधि या मोदी इन दोनों में से एक को चुनना होगा ।

छोड़िए, आप क्या चुनेंगे यह आप का निर्णय होगा । कॅश दे कर २% का लाभ गिना जा सकता है, उसमें कोई और चीज आ सकती है । तत्व, निष्ठा, सत्य, मूल्य आदि सब बातें हैं, बातों का क्या ? कौनों हो नृप .....

अच्छा, इस पोस्ट का शीर्षक था “२% में क्या बिकता है?” आप को अगर गलत लगे तो “क्या” की जगह “कौन” पढ़ने को आप स्वतंत्र हैं ।

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