सर्च इंजिन पर ग़लत जानकारी का डेंजरस ट्रेंड
सर्च इंजिन के तरीकों को समझ कर एक ही तरह की जानकारी के भरे लिंक्स से गूगल सर्च का पहला पेज भर दो......भैंस के मांस का वे लोग कारोबार करते हैं और भैंस के मांस को भी बीफ कहा जाता है - वैसे, मैं तो गोमांस को ही बीफ कहता था, लेकिन यह एक ज्ञानवृद्धि हुई ।
एक डेंजरस ट्रेंड की जानकारी यहाँ दे रहा हूँ ।
एक घातक ट्रेंड चल निकला है कि सर्च इंजिन के तरीकों को समझ कर एक ही तरह की जानकारी के भरे लिंक्स से गूगल सर्च का पहला पेज भर दो, क्योंकि पहले पेज के बाहर शायद ही कोई जाता है । आपकी झूठी जानकारी भी authentic मानी जाने लगती है । इसके भी उदाहरण नजर में आए हैं।
बात क्लियर न हुई हो तो उदाहरण से ही बताए देता हूँ ।
एक प्रवाद चलाया जा रहा है कि भारत में बीफ के ६ सब से बड़े एक्सपोर्टर में चार हिन्दू हैं। जब पहली बार यह खबर देखी तो उसके साथ एक लिंक भी थी जो साइट ओवैसी संबन्धित थी। खैर, उसमें कुछ नाम थे, पहले ही पते में में एक कंपनी का पता चेंबूर का दिया गया है जहां इस नाम से कोई बिल्डिंग नहीं है, चेंबूर (Chembur) मुंबई 400071 है और वहाँ मुंबई 400021 दिया है ।
लेकिन यही जानकारी बहुत सारी पेजेस पर कॉपी की गई है और predictably, सभी पेजेस मुस्लिमों के हैं । गौरतलब यह भी है कि कहीं भी फोन नंबर्स नहीं या वेब पेजेस नहीं । एक दिल्ली की कंपनी का एड्रैस एक मार्केट का है, और एक कंपनी 2013 में बंद हो चुकी है फिर भी नाम दिया जा रहा है ।
एक सरदारजी इस बात को ले कर बहस करने लगे थे । मैंने यह तथ्य सामने रखे तो वे भी मेहनत करने लग गए और वो दिल्लीवाली कंपनी का नाम पता सामने निकाल कर रखा । वो मिला तो मैंने भी उसकी वेब साइट ढूंढ निकाली । भैंस के मांस का वे लोग कारोबार करते हैं और भैंस के मांस को भी बीफ कहा जाता है - वैसे, मैं तो गोमांस को ही बीफ कहता था, लेकिन यह एक ज्ञानवृद्धि हुई । सरदारजी से पूछा - आप के मुताबिक बीफ क्या है? वे गुडनाइट कहकर विदा हुए, वैसे रात भी काफी हो चुकी थी, लेकिन मेरे इस सवाल का अंत तक जवाब नहीं दिया पट्ठे ने । प्रोफ़ाइल देख लिया, AAP और खलिस्तान दोनों का हमदर्द निकला ।
तो बात सर्च इंजिन को flood करने की थी ताकि गलत जानकारी की ही भरमार दिखे, क्योंकि लोग अक्सर पहले पेज के लिंक्स से बाहर जाते ही नहीं, और इस तरह झूठ को सच माना जाये ।
ह. मुहम्मद और अस्मा बिंत मरवान (Asma bint Marwan) को ले कर ऐसे ही दिखाई दे रहा है । ज़ैनब की जानकारी लेने चाहेंगे तो Zainab bint Jahsh न लिखें तो ह मुहम्मद की बेटी जैनब की जानकारी मिलेगी, ज़ैद की पत्नी जैनब की नहीं ।
और islam-watch.org जैसे इस्लाम की पोल खोलती साइट पर जाएँ तो अपने ही सरकार के DOT ने ब्लॉक कर रखा है यह संदेश मिल रहा है ।
आज Jesus Christ पर लिखने का मन था तो Christ की व्याख्या के लिए लिंक्स देख रहा था। बरसों पहले Gnostics में Christos पर पढ़ा कुछ कुछ याद था, याद ताजा करने की जरूरत लगी । देखा तो पेज के सभी लिंक्स एक ही तय व्याख्या को हल्का सा फर्क कर के कॉपी पेस्टिया रहे हैं, कोई तो सीधा सीधा बिना कोई बदलाव के कॉपी पेस्टिया रहे हैं । जरा खोज बीन के बाद ही कुछ एक सच बात सामने आई ।
इस बात की गंभीरता आप को शायद अब समझमें आएगी जब आप को बताऊँ कि आजकल कई मुसलमान नेट पर बड़े ही बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं कि मुसलमानों ने भारत पर कोई आक्रमण किए ही नहीं, वे तो व्यापारी थे । और केरल में 1400 साल से व्यापार कर रहे थे उसके संदर्भ देते हैं तथा दुनिया की दूसरी मस्जिद केरल में कैसे बनी उसकी बात चलाकर पूरे भारत में इस्लाम का प्रसार उस से जोड़ते हैं ।
कहीं एक दो साल में नेट सर्च में यही इतिहास न बन जाये कि हिन्दुओने बड़े प्यार से इस्लाम कबूला, व्यापारियों से उसकी महिमा समझकर । गझनी, घौरी, खिलजी, नादिर शाह वगैरा तो महज टुरिस्ट लोग थे । उनपर स्थानिक डाकुओने लूट के लिए हमले किए तो उनसे स्वरक्षण के लिए कुछ झड़पें हुई, बाकी तो जो है सो हईये ही है ।
इसी पोस्ट से सम्बंधित आगे यहाँ अवश्य पढ़ें - https://readwritehere.com/post/erpps/making-history-और-manufacturing-history-में-बडा-फर्क