पुण्य प्रसून वाजपेयी, दस तक में
मैं हूँ पुण्य प्रसून वाजपेयी, दस तक मैं आपका स्वागत है.. देश के भीतर राजनीति एक अलग राह पर चल पड़ी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नए साल का लंबा जश्न मनाकर लौटते हैं और एक रैली में फटा हुआ कुरता दिखाते हैं...
नमस्कार,
मैं हूँ पुण्य प्रसून वाजपेयी, दस तक मैं आपका स्वागत है..
देश के भीतर राजनीति एक अलग राह पर चल पड़ी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नए साल का लंबा जश्न मनाकर लौटते हैं और एक रैली में फटा हुआ कुरता दिखाते हैं...
आखिर इसके मायने क्या है? क्या राहुल के ज़रिये कांग्रेस ये बताना चाहती है कि नोटबंदी के बाद अब उसके पास फटे हुए कपडे ही पहनने को बचे हैं, अगर ऐसा है तो राहुल गांधी जिनके पास ढंग के कपडे तक पहनने को नहीं हैं वो विदेश यात्रा कैसे कर आते हैं?
दरअसल इस दौर में ये समझना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि एक 125 साल पुरानी पार्टी जिसके पास 60 बरसों तक इस देश की सत्ता रही हो, गांधी नेहरू परिवार जिसकी अमीरी के क़िस्से देश की जनता देखते सुनते आई हो क्या वाक़ई उसकी हालत ऐसी हो गई है कि ढंग के कपडे तक पहनने को नहीं बचे?
चर्चा इस बात को लेकर भी है कहीं ऐसा तो नहीं कि ढंग के कपडे न होने की वजह से ही कांग्रेस अध्यक्षा आजकल कहीं नज़र नहीं आ रही? पीएम मोदी के सूट की क़ीमत भी राहुल गांधी बार बार बताते नज़र आते हैं औ क़ीमत भी कम ज़्यादा बताते रहते हैं। पहले 10 लाख का सूट बताते थे लेकिन कल की रैली में सूट की क़ीमत 15 लाख बता गए हैं।
बहरहाल यहाँ ये भी समझना लाज़मी हो जाता है कि जिस पार्टी का नेता ही फटे कपड़े होने का दावा करता है तो वो हाशिये पर पड़े इस देश के आम नागरिक के विकास का दावा कैसे कर सकती है? क्या ये मान लिया जाए कि फटे कुरते के ज़रिये राहुल गांधी ने ये बताने की कोशिश की है कि 60 साल के उनके शासनकाल के बाद भी देश की जनता की यही हालत है।
इस दौर में राहुल का फटा कुरता दिखाकर बीजेपी या कहें पीएम मोदी पर निशाना साधने का कांग्रेस का ये दाँव कहीं न कहीं कांग्रेस पर ही उल्टा पड़ता नज़र आता है। कल से राहुल गांधी अपने इस फटे कुरते के कारण बीजेपी और सोशल मीडिया में मोदी समर्थकों के बीच उपहास का केंद्र बने हुए हैं।
दरअसल राहुल गांधी ने जिस कुरते को एक बार फाड़ा उसे बीजेपी के समर्थक कल से बार बार फाड़े जा रहे हैं। जब एक बड़ी पार्टी का उपाध्यक्ष ही फटा कुरता पहन रहा है तो देश को फटेहाल रखने का जिम्मेदार आख़िर कौन है?
बहरहाल अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि कल तक समाजवादी पार्टी के खिलाफ "27 साल यूपी बेहाल" का नारा लगाने वाली कांग्रेस कहीं अब " बेहाल - फटेहाल बेमिसाल" का नारा बुलंद तो नहीं करने जा रही?
आख़िर ये रास्ता जाता किधर है...