So Called - प्रगतिशील सोच वाली महिलाओं का सच
राधा - (गुस्से में) जमना ये क्या कपड़े पहने है तूने ?? हजार वार बोला है सलीके के कपड़े सूट वगैरह पहना करो ........ रात दस बजे पार्टी में जाने का टाइम है तुम्हारा ?? जाओ अपने कमरे में पढ़ाई करो ........ जमना - ओ कम ऑन मम्मा क्या आप भी ......... मैं नहीं पहनूँगी सूट और पार्टी में जाना जरूरी है मेरा ...
"मम्मा मैं आरती के साथ परवेज के यहाँ पार्टी में जा रही हूँ"
महिला सशक्तिकरण और बैंगलोर छेड़छाड़ घटना के विरोध में समस्त पुरुष समाज को ज़ी भर गाली देती पोस्ट टाइप करती ... राधा के कानों में जब अपनी बेटी
जमना के ये शब्द पड़े तो लैपी छोड़ कमरे से बाहर दौड़ी आई..
राधा - (गुस्से में) जमना ये क्या कपड़े पहने है तूने ?? हजार वार बोला है सलीके के कपड़े सूट वगैरह पहना करो ........ रात दस बजे पार्टी में जाने का टाइम है तुम्हारा ?? जाओ अपने कमरे में पढ़ाई करो ....
जमना - ओ कम ऑन मम्मा क्या आप भी ......... मैं नहीं पहनूँगी सूट और पार्टी में जाना जरूरी है मेरा ..
इतना कह के गुस्से में हिल वाले सैंडल से पाँव पटकती हुई जमना बाहर चली
जाती है ......... जहाँ उसका दोस्त परवेज़ अपनी 180cc की पल्सर पे उसका वेट
कर रहा होता .........
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दूसरों की बहन बेटियों की तंग कपड़ो की आजादी का सोशल मीडिया पे समर्थन करने वाली राधा की खुद की बेटी उसके हाथों से निकल चुकी थी .........
राधा मन मसोस कर के अपने कमरे में चली जाती है ......... और अधूरी रही नारी सम्मान और सशक्तिकरण की पोस्ट टाइप करने लगती है .........
राधा और दिनेश की इकलौती बेटी थी जमना ......... बड़े लाड़ प्यार से उसको पाला था कान्वेंट स्कूल में शिक्षा दिलायी थी ......... कॉलेज की पढ़ाई बाहर होस्टल में रहवा के बड़े शहर से करवाई थी .........
घर से दूर रहने और आधुनिक परिवेश में पली बढ़ी जमना आज आधुनिकता और प्रगतिशीलता के रंग में रंग चुकी थी ......... लेट नाईट डिस्को पार्टी क्लब और पब जाना उसका नित्यकर्म था .........
वहिं फेसबुक
ट्विटर पे खोखले छद्म नारीवाद का ढोल पीटने वाली राधा ......... औरों की
बहन बेटियों को क्रन्तिकारी पोस्ट द्वारा आज़ादी के मायने समझाने वाली राधा
खुद अपनी बेटी के हाथ से निकल जाने से दुखी थी .........
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जमना की हरकतें दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी ......... तंग कपड़े पहनना शराब पीना स्मेक लेना उसकी आदत में शुमार सा हो गया था ......... रोज़ रात को 2-3 बजे घर आना उसका डेली रूटीन बन चूका था .........
नव वर्ष के दिन नशे में आकंठ डूबी मदहोश जमना अपने बॉय फ्रेंड परवेज के दूसरी लड़की के साथ बाइक पे चले जाने के बाद पैदल ही शहर की सड़कों पे घर की और निकल पड़ी थी ......... जमना को ना खुद का होश था ना कपड़ों का .........
राह चलते लड़के जमना के साथ छेड़छाड़ और चुम्मा चाटी कर लेते हैं ......... मामला मीडिया और सोशल मीडिया में छा जाता है ......... नारीवादी संगठन खून खच्चर काटते है और आरोपी धरे जाते है .........
राधा और उसकी सहेलियां
सोशल मीडिया पे इस घटना के विरोध में समस्त पुरुष समाज को ज़ी भर गलियाँ देती है
......... यलगार बुलंद करती है ..........
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आनन फानन में एक योग्य (C) लड़का देख के जमना के हाथ पीले किये जाते हैं ......... नियत तिथि दिन वार पे जमना की डोली उठ जाती है ........
बाबुल की बगिया की बुलबुल से जमना अब शैय्या के अंगना की कर्कश कबूतरी बन चुकी है .........
जमना भी अब अपनी माँ राधा की तरह सोशल मीडिया पे बड़ी फेमिनिस्ट बड़ी सेलिब्रिटी है ......... 2 बच्चे हो गए है लेकिन जमना सुहागन हो के मांग में सिंदूर नहीं भरती है ......... कवियत्री भी बन गयी है जमना ......... एगो दो कौड़ी की मस्तराम टाइप कविता की पुस्तक लिखी है जिसकी अब तक 20 प्रतियां बिक चुकी है .........
जमना आजकल सोशल मीडिया में संघी युवाओं को इनबॉक्स इनबॉक्स अमित्र करने के कंपैन की मुखिया भी है !!!! ..........