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सिंहासन यादव की हत्या के दूरगामी परिणाम क्या हैं ?

यहाँ पहले ही बता दूँ कि व्यक्ति की हत्या की बात कर रहा हूँ, नरसंहार माने genocide की नहीं ।

हत्याएँ अक्सर दो प्रकार की होती हैं । एक वो है जो झगड़ा बढ़ने से हो जाती है और दूसरी वो है जो इरादातन की जाती है । सिंहासन यादव की हत्या इरादातन की गई हत्या है । दोपहर को लड़की छेड़ने पर टोकने के बाद मुसलमान मनचलों ने सिंहासन यादव से झगड़ा किया । वहीं अन्य लोगों के बीच बचाव से बात सुलझ गयी, सब अपने अपने घर चले गए ।

उसी रात को सिंहासन यादव के घर में घुसकर सोते रहे सिंहासन यादव को छुरे से बुरी तरह मारा गया । वही मुसलमान मनचले थे ।

ऊपर ऊपर से अगर देखा जाये तो बात बहुत बड़ी नहीं दिखती । ऊपर ऊपर से ।

मुसलमान की लगभग हर क्रिमिनल कृति सहसा पॉलिटिकल अर्थ रखती है । क्योंकि पकड़े जानेपर वो उसे राजनैतिक रंग देता है - उस काम में नैतिक तो कुछ होता नहीं । भीड़ जमा होती है, नारेबाजी होती है और वोट का भूखा नेता उसके पीड़ित पर ही केस डलवा देता है । लेकिन यह सभी चीजें ऐसी ही नहीं होती, उसके पीछे सेटिंग होती ही है ।

और जहां सेटिंग होती है वहाँ सोच होती है । परिणाम क्या होंगे, उन्हें कैसे मैनेज किया जाये यह सब सोचा जाता है । सिंहासन यादव के हत्यारे देर रात में लौटे इसका मतलब इतना समय सेटिंग में लगा होगा ।

वैसे हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक यादव की लड़की कैसे छेड़ी गयी ? एक यादव की हत्या कैसे की गयी MY गठबंधन के चलते ?

क्यों हम ये भूल रहे हैं कि इस्लाम, मुसलमान को गालिब (हावी) होकर रहने को ही सिखाता है । काफिर के साथ दोयम रोल तो जिल्लत है, मुसलमान को अपना वर्चस्व स्थापित करना ही चाहिए । Y का घटता प्रभाव M ने भाँप लिया और वही बात Y को समझा रहे हैं, सिंहासन यादव की हत्या से कि अब होगा तो My होगा, MY नहीं । यादव की बहन बेटी छेड़कर, और वो लड़ पड़ा तो उसे बुरी तरह मारकर वे यही संदेश दे रहे हैं ।

ये मानकर खुद को समझाने की भूल न करें कि सिंहासन यादव तो बसपा का कार्यकर्ता था । आप के लिए होगा, मुसलमान की नजर में वो बस एक यादव था ।

आप यह न भूलें कि बाबरी मस्जिद शिया की थी, लेकिन दंगे सभी मुसलमानों ने किए वे भी ज़्यादातर सुन्नियों ने । हम ये न सोचें कि सिंहासन यादव बसपा का कार्यकर्ता था, या केवल यादव था । हमें यही सोचना चाहिए कि वो एक हिन्दू था, हमारा धर्म का भाई था । हाथ डाला गया तो हिन्दू की इज्जत पर । वैसे भी वो लड़कियां सिंहासन यादव की बेटियाँ नहीं थी, उनके लिए मुहल्ले की लड़की भी अपनी ही इज्जत थी । उसपर हरे जहर का हाथ पड़ते वे देख न सके, उनका जमीर मरा नहीं था ।

वोट आप की आत्मरक्षा का शस्त्र है, गलत बटन न दबाएँ ।

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