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मुझे एक तारीख ऐसी बता दिजीये जिसमें देश के किसी न किसी कोने से नकद की चोरी होने की खबर अखबार में ना आयी हो। नोटबंदी के बाद शायद इस खबर में कमी आयी होगी। वरना हम ने कितनी खबरें सुनी, पढी और देखी है कि रास्ते से आ रहा था तो पैसों की थैली छुट गयी, बटुआ गिर गया या चोरी हो गया,किसी को पैसा दिया पर वह मुकर गया की नहीं दिया कारण सबुत नहीं है, बैंक लुट लिया गया या कैश वैन से रास्ते में ही पैसे उड़ा लिये।

बुद्धिजीवी और अ(न)र्थशास्त्री डरा रहे हैं की डिजीटल ट्रांजेक्शन बहुत खतरनाक है। रिस्की है। क्या सच में..??

अगर आज तक दुनिया में नकद चोरी की रकम और डिजीटल तरीके से कैश चोरी की रकम की तुलना करेंगे तो नकद की चोरी की रकम कई सौ गुणा ज्यादा होगी। और नकद चोरी की रिपोर्ट करने पर आज तक पुलिस कितनों को पकड़ पायी है या पैसा वसुल पायी है? 5% भी नहीं होगा। और नकद की चोरी करने वाले चोर बनने के लिये क्या लगता है? एक हथियार, हिम्मत, अपराधी प्रवृति, शिक्षा अनिवार्य नहीं होती।चोरी करके यह कहाँ भाग जायेंगे पता भी नहीं चलेगा। इन्हें पकड़ना लगभग नामुमकिन हो जाता है।तो यह वाला चोर बनना ज्यादा आसान है,इनकी संख्या भी बहुत ज्यादा है।

वहीं एक डिजीटल चोर बनने के लिये आपको कंप्यूटर का, कोडींग का बहुत गहरा नॉलेज चाहीये होता है। ऐसे चोरों की संख्या कितनी होगी?कितने होंगे ऐसे तीव्र बुद्धि वाले? उपर से इस चोरी के लिये जो उपकरण लगते हैं उन्हें ट्रेस किया जा सकता है। IP adress वगैरह से सायबर पुलिस उनतक पहूंच सकती है। हाँ फिलहाल इसकी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है कारण इस प्रकार की चोरीयाँ बहुत कम हुई है। लेकिन जैसे ही कैशलेस व्यवहार बढेगा सरकार भी इसके सुरक्षा के पुख्ता इंतोजाम कर लेगी। तो मतलब इस तरह के चोरों की संख्या बहुत कम है,और इन्हें पकड़े जाने के बहुत ज्यादा चांसेस है।

तो इससे साबित होता है की कैशलेस व्यवहार ,नकद से बहुत ज्यादा सुरक्षित है। और हाँ रिस्क है तो यह बताइये रिस्क किसमें नहीं है? सड़क पर पैदल, सायकल,बाइक, कार, जहाज,रेल हर दुर्घटना में लोग मारे गये हैं तो क्या हमने घर से निकलना बंद कर दिया है? कई बच्चे पैदा होते बराबर मर जाते हैं तो क्या इस डर से बच्चे पैदा करनाछोड़ देते हैं? बाढ, भुकंप में मकान धराशायी हो जाते हैं तो क्या छोड़ दिया हमने रहना?

तो जब पैदा होते ही..और गाड़ी पर किक मार घर से निकलते ही जिंदगी दांव पर लग जाती है तब हम नहीं डरते ... तो कैशलेस से डरेंगे? जान गवाने से नहीं डरे पैसा गवाने से डरेंगे?

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