अखिलेश यादव - औरँगजेब द्वितीय?
मेरी व्यथा के केंद्र में भारतीय मतावलम्बियों के राजनितिक इतिहास में " पिता-पुत्र का सम्बन्ध" है । भारतीय संस्कारों में पला बढ़ा एक पिता होने के चलते "मेरी पूरी सहानुभूति नेता जी के साथ" है ,यद्यपि मैं नेता जी की राजनितिक शैली का कभी भी समर्थक नहीं रहा हूँ ।
"औरँगजेव द्वितीय ' , बन गया सुत ही अपना । "
मुझे फेसबुक पर सक्रिय हुये लगभग छः मास हो चुके हैं और मेरे पूर्व परिचित स्नेहीशुभ चिंतकों को यहाँ मेरेएकसर्वथा नये
रूप से परिचय हुआ ।कुछ को आश्चर्य भी हुआ । अब तक की मेरी बौद्धिक
सक्रियता के केंद्र में राष्ट्रीय राजनितिक गतिविधियाँ ही रही हैं और
उसमेंभी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्लोभ समर्थन
की प्रमुखता रही है । इतनी उथल पुथल के
बाबजूद उत्तर प्रदेश की राजनीति से सम्बद्ध बौद्धिक चर्चा से मैं प्रायः
निर्लिप्त ही रहा हूँ किन्तु इधर कुछ दिनों में सत्तारूढ़ दल में पिता के
विरुद्ध पुत्र के अकल्पनीय विद्रोह ने मेरे कवि ह्रदय को अत्यधिक व्यथित
कर दिया है ।
मेरी व्यथा के केंद्र में भारतीय मतावलम्बियों के राजनितिक
इतिहास में " पिता-पुत्र का सम्बन्ध" है । भारतीय संस्कारों में पला बढ़ा
एक पिता होने के चलते "मेरी पूरी सहानुभूति नेता जी के साथ" है ,यद्यपि
मैं नेता जी की राजनितिक शैली का कभी भी समर्थक नहीं रहा हूँ । आज की मेरी
पोस्ट इसी विचार भूमि पर आधारित है ....
"अपना जो इतिहास ' है , दुर्लभ वहाँ मिशाल ।
किया पिता को पुत्र नें , इतना यों बेहाल ।।
इतना यों बेहाल , अत्यधिक दुखी बाप है ।
जो था रहा 'सपूत' , बन गया ' कंस-छाप' है।।
त्रस्त पिता को नित्य , भयानक दीखे सपना ।
'औरँगजेव द्वितीय ' , बन गया 'सुत' ही अपना।।"
"नेता जी का नाम जो , जपते थे दिन रात ।
वही आज सब किये हैं , आगे बढ़कर घात ।।
आगे बढ़कर घात , करें वे वारी वारी ।
जोकि रहे हैं कभी , मुख्य सेवक दरवारी ।।
आँख दिखाते अकड़ , रहे सब 'आजी पाजी '।
'किन पापों' का कुफल , मिला सोंचें नेताजी ।।"
विशेष .....
' अपना इतिहास .'. भारतीय राजनितिक इतिहास अर्थात्
हिंदुओं का राजनितिक इतिहास ।
' सपूत '....?
' कंस - छाप '..पौराणिक इतिहास के अनुसार कंस नें अपने
पिता को सत्ताच्युत करके स्वयं पदारूढ़ हो गया और
अपने पिता को कैद कर लिया था । यहाँ इसी दुर्घटना
की ओर संकेत है ।
'औरँगजेव.- द्वितीय' .... विदेशी मुगलकालीन इतिहास में
बादशाह शाहजहाँ के बेटे औरंगजेव ने शाहजहाँ
को सत्ताच्युत करके स्वयं सत्ता के बल से सत्तारूढ़
हो गया और पिता शाह जहाँ को जेल में डाल दिया
था ।उसके बाद उस दुर्घटित इतिहास ने अपने को
उत्तर प्रदेश के सत्ता संघर्ष के रूप में पुनः दुहराया है।
'किन पापों का कुफल '......?
'भयानक सपना '... शाहजहाँ के अंतिम कष्टकारी दिनों
की स्मृति ।
'आजी -पाजी '.....?
सुत ....पुत्र ।