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बहुत सारे लोगो को गरीबो की चिंता में रुदन करते हुए देखना ,कोई नयी बात नही है ।
हमारी राजनीति भावनाओ के कुशल व्यापार पर ही तो संचालित है ।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1रूपये और 2रूपये में 70%लोगो को अनाज को उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जाहिर की जा चुकी है ,जो देश भर में लागू है ।

यानी एक परिवार जिसके कुल सदस्यों की संख्या यदि 4हो तो 1या 2 रूपये के हिसाब से मिलने वाले अनाजो की मात्रा के अनुसार 20रूपये या 40 रूपये महीने का अनाज तो सरकार उपलब्ध करवा ही रही है ।

गरीबो को सक्षमता देने के लिए किस तरह के कार्यक्रमो और प्रयासों की जरूरत है उस संदर्भ में ये गरीबो के लिए रुदन करने वाले लोग बात करते नही दिखते ।

आधारभूत ढांचे का विकास किस प्रकार गरीबी को खत्म करने में अपनी भूमिका निभाता है इस पर बात करते नही दिखता ,चुनावो के वक़्त क्षद्म बौद्धिकता और दिखावटी भावनाओ के घाल मेल से गरीब और कमजोर वर्ग को वरगला कर अपने आकाओं के हितों में प्रयोग कर लेता है ।
क्या गरीबो के बच्चों को मिलने वाली शिक्षा की उपलब्धता,उसकी गुणवत्ता और उसका विद्यालय में बने रहने की परिस्थियों के संदर्भ में इतनी उदाशीनता क्यों रहती है इन चिंतको में?

पारदर्शी प्रशासन ,जवाबदेह प्रशासन और लक्षित(targeted) प्रशासन के संदर्भ में चुनावी घोषणा पत्र मौन क्यों है?

पुलिस या अन्य संस्थाओ में होने वाले राजनीतिक, मनोसामाजिक और आर्थिक लामबंदी के छुटकारे के लिए घोषणा पत्र क्योंकर मौन है?

बेहतर रोजगार स्थिति के लिए प्रौद्योगिकी संस्थान,प्रशिक्षण संस्थान,पर घोषणा पत्र मौन क्यों है ?
क्या ये सभी बातें गरीब विरोधी है?
क्या इससे गरीबो का जीवन गुणात्मक नही होता?

इतने बड़े राज्य में एक भी संस्था अंतराष्ट्रीय स्तर की तो छोड़िए राष्ट्रीय स्तर पर भी उल्लेख किये जाने योग्य नही है! आखिर इस पर कब विचार होगा?

शिक्षकों का स्तर किसी से छुपा नही है प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थाओं तक में क्या क्या पक रहा है और आने वाले दो दशक में हमारे पास कैसी प्रतिभाएं होंगी इसपर कब विचार किया जायेगा?

इस बार चुनाव में किसी भी घाल मेल से बचे ,आपकी कोमल भावनाओ का कोई कुटिल व्यापारी प्रयोग न कर ले इसके प्रति जागरूक बनिए ।

अपने बेहतर भविष्य और सक्षम समाज सामूहिक हित को पहचानिये और दूसरों को भी प्रेरित करिये ।।

नकारात्मक, क्षद्म बौद्धिकों,घाल मेल वाले ठगों और सत्ता के लिये देश और समाज को भी तोड़ने वाली शक्तियों को पहचानिये और उन्हें उखाड़ फेकिये ।

याद रखिए,अच्छाई आपकी ताक़त है इसे जब आप चुनेगे तो वो श्रृंखलाबद्ध ढंग से नियोजित होती चली जायेगी ।
यथास्थितिवादियों को नकारिये ।
समाधान की तरफ बढिये ।
क्या अब भी बताने की जरूरत है कि किसे वोट करिये ।

जय श्री राम ।
हर हर महादेव ।।

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