राष्ट्र को समर्पित पचास दिन मोदी जी के नाम भाग-6
16. "भागे संसद् छोड़ कर ,पाक परस्त गुलाम ।" 17. " देश किया कंगाल ,पूज कर इटली देवी ।" 18. " सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली "
16. "भागे संसद् छोड़ कर ,पाक परस्त गुलाम ।"
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की है । बहुत ही उजले चेहरों की नकली श्वेतिमा उतर गई है और असली कालिमा सहसा सामान्य जनता के सामने आ गई है ।
संसद् में चर्चा होगी तो इन नोटबंदी के विरोधियों अर्थात् काले धन के
समर्थकों के असली चेहरे खुल कर सामने आ जाने का खतरा पैदा हो गया है ।दूसरा
और एक अति महत्वपूर्ण कारण यह है कि सरकार "पाकिस्तान एक आतंकीराष्ट्र् है
'' ऐसा बिल या विधेयक इसी सत्र में पारित कराने के लिए ला रही है ,क्योंकि
संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसा ही प्रस्ताव 15 सदस्यों की परिषद
में मात्र चीन के विरोध के कारण लंबित है ।उसी प्रस्ताव के लिये कूटनीतिक
दबाब बनाने के हेतु अपनी संसद से यह
बिल पास कराने की आवश्यकता
अनुभव की जा रही है ।इससे पाकिस्तान में बहुत ज्यादा बेचैनी है ।उसने अपने
भारतीय सेकुलर एजेंटो को बिल न पारित हो पाने के लिये सक्रिय किया हुआ है ।
अतएव हंगामा करके संसद् को ठप कर देने के पीछे यही दो मुख्य कारण हैं ।
इन्ही तथ्यों के प्रकाश में मेरी आज की पोस्ट रचित हुई है ......
" भागे संसद् छोड़कर ,पाकपरस्त गुलाम ।
चर्चा में खुल जायेंगे ,ये औ इनके काम ।।
ये औ 'इनके काम ' ,खुलेंगे डरे हुये हैं ।
उछल कूद तो करें , किन्तु सब 'मरे हुये 'हैं ।।
" है आतंकी राष्ट्र् , पाक" यह बिल है आगे ।
पास न हो बिल अतः , कियेे हंगामा भागे ।। "
विशेष ...
' इनके काम' .... इन नोटबंदी के विरोधियों के काले धन
के समर्थन में किए जा रहे प्रयास ,
जनता की दृष्टि में स्पष्ट हो जायेंगे ।
' मरे हुये ' ,.....अपनी आत्मा की आवाज के विरोध में
पाकिस्तानी आतंकी दबाब में स्वदेश के
हितों सुरक्षा ,आर्थिक सम्पन्नता के विरुद्ध
सक्रियता से आत्मिक चेतना अर्थात् ज़मीर
मर जाता है । राष्ट्र् कवि स्वर्गीय 'मैथिली
शरण गुप्त 'ने ऐसे नागरिकों को 'मृतक
समान 'अर्थात् 'मरे हुये 'कहा है ।
17. " देश किया कंगाल ,पूज कर इटली देवी ।"
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आकस्मिक मुद्रा बन्दी से ' काले धन' और 'काले मन' वाले अत्यधिक
सदमे में हैं ।अब जब इनके समझ में आया कि जल्दी ही 'ब्लैक मनी 'की 'काल
फ़ांस 'इनके गले तक पहुंचने वाली है ,तो इन्हें एक ही रास्ता सूझा कि सभी
लुटेरे एकजुट होकर नोटबंदी
के मुद्दे की सीधी खिलाफत को जनहित का
मुद्दा बनाकर सड़क पर उतर कर उपद्रव पैदा करो और देशभर में अराजकता का ऐसा
वातावरण बना दो कि सरकार इतनी उलझ जाये कि इन राष्टीय पापियों पर दृष्टि
डालने का साहस ही न कर पाये ।
चोरी करते पकडे गये सभी चोर अब
दुर्दान्त डकैत बन कर मोदी पर एकजुट हमला करने पर उतारू हो गए हैं । और
अब इस अभियान में देश के दश वर्ष तक रहे "लूट -प्रमुख "
" धन मोहन " जी भी शामिल हो गए हैं और पहली बार अपनी
मालकिनऔर" इष्ट इटली देवी "के निर्देशपर संसद् के अंदर और बाहर बुहुत जोर जोर से 'मिमियाने 'लगे हैं ।
मेरी आज की पोस्ट इसी पृष्ठभूमि पर रचित हुई है ...
"इटली देवी के रहे , भक्त बड़े सरनाम ।
भक्ति - चाकरी में मिला ,पी एम का वरदान ।।
' पी एम ' का वरदान , मिला ऐसे बौराये ।
चोर लुटेरे 'दस्यु ', जोड़ कर 'टीम 'बनाये ।।
'लूट -प्रमुख ' यह रहे ,लूट सब किये फ़रेबी ।
देश किया कंगाल ,पूज कर 'इटली देवी '।।"
" कहते 'धन मोहन ' वही अर्थशास्त्र के 'केतु '।
मुद्रा -बन्दी है बनी ,सर्वनाश का हेतु ।।
सर्वनाश का हेतु , बन गये हैं श्री मोदी ।
अर्थतंत्र की कब्र , जिन्होंने गहरी खोदी ।।
स्वयं राजसुख भोग ,रहे महलों में रहते ।
जनता है बेहाल , 'दुखी ' धन मोहन कहते।।"
विशेष...
पी एम ..प्रधानमंत्री
दस्यु ... डकैत
टीम ... . मंत्रिपरिषद
लूट -प्रमुख ... कुख्यात राष्ट्रीय लुटेरों का चयन करके
एक अभूतपूर्व भ्रष्टाचारियों और गद्दारों
की टीम बनाकर अपने संरक्षण में उन्हें
राष्ट्रीय लूट का पूरा अवसर प्रदान किया ।
इटली देवी ....का परिचय देने की आवश्यकता नहीं,
सभी भली प्रकार परिचित ही हैं ।
धन मोहन ..... व्याकरण की दृष्टि से यह एक सामासिक
शब्द है ।इसमें तृतीया तत् पुरुष समास है
विग्रह होगा ' धनेन मोहनः 'अर्थात्
जिसने धन ( राष्ट्रीय राजकोष ) से नीचे
ऊपर सबको मोहित अर्थात् खरीद लिया
हो ।अरबों खरबों के घोटाले उसी पद की
कीमत की सौदेबाजी में जानबूझ कराये
गए । कथित mister clean धनमोहन
जी की असलियत यही है ।
केतु .... ध्वज , ज्योतिष् में एक पाप ग्रह जिसकी
अन्य पाप ग्रहों की युति अर्थात् संगति
जातक ( यहाँ संदर्भानुसार भारत ) का पूरा
विनाश कर दे ।
18. " सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली "
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"Note Bandi is 'an organised loot' and 'leagalised plunder 'of the Indian people ."
"अर्थात् नोट बन्दी एक 'संगठित लूट 'और' वैधीकृत अराजक '
लूटपाट है । " ...........................'पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह '
मित्रो यह महानुभाव वही 'धनमोहन सिंह ' हैं ,जिन्होंने ने
देश भर के कुख्यात राष्ट्रीय लुटेरों को साभिप्राय चयनित करके कोर्ट और
मीडिया की आपत्तियों के बावजूद राजा जैसे लाखों करोड़ के घोटालेबाजों को
अंतिम समय तक ईमानदारी का प्रमाण पत्र दिया ।इन कथित Mister Clean ने अपने
10 वर्ष के कार्यकाल में करोडों करोड़ के organized and leagalised घोटाले
अपने सभी सहयोगी लुटेरों से साँठगाँठ करके किये । 10 वर्षो तक संगठित और
नियोजित निरन्तर घोटाले करते करते इनकी 'स्मृति का घोटालीकरण' हो गया है ।
इनकी बुद्धि प्रदूषित हो गई है । इस प्रकार अरबों खरबों की अकूत
मुद्रा इन्होंने और इनके लुटेरे सहयोगियों ने एकत्र की हुई थी । मोदी
द्वारा आकस्मिक नोटबंदी की घोषणा से इनकी वह समस्त लूट राशि मिट्टी हो गई
है । अब यह इतने अधिक सदमे में हैं कि विक्षिप्त हो गए हैं और जनता के
वहाने चिल्ला रहे हैँ कि 'हाय मोदी ने हम सबको संगठित और कानूनन लूट लिया
है ।' अब इनको रातदिन लूट के सपने आ रहे हैं ।इसी अर्धविक्षिप्तावस्था में
यह महानुभाव उक्त वक्तव्य दे बैठे । इसी पृष्ठ भूमि में कल की पोस्ट के
क्रम यह पोस्ट भी देशभक्त जनता को समर्पित है .......
"कुर्सी 'पी एम 'की मिली ,कियेसंगठित लूट ।
पीड़ित जन के शाप से ,गई अचानक छूट।।
गई अचानक छूट , तभी से थे पगलाये ।
'नोट बन्द' का घात , लगा तो सह ना पाये ।।
गिरी सभी पर 'गाज ',करे को 'मातम पुर्सी ' ।
अरबों हुये विनष्ट , 'कमाये थी जब कुर्सी ।।"
विशेष .....
'धनमोहन '.. समासिक शब्द ,तत्पुरुष समास ,
विग्रह ..धनेन मोहनः ,धनाय मोहनः ,धने मोहनः
अर्थात् पर मुग्ध ,धन के लिए जो जी रहा हो,
और जो धन के द्वारा सबको मोहित कर ले
अर्थात् खरीद ले ।कुलमिलाकर धन और पद पाने
के लिए कोई भी किसी भी स्तर पर पाप करता
रहे और इसके लिये सदैव तैयार रहे ।
'गाज..:'.. नोटबंदी का आकस्मिक वज्रपात ।
' मातमपुर्सी '.... किसी मृतक के संबंधितों को सांत्वना देना
'पी एम .'..प्रधानमंत्री
'कमाये थी जब कुर्सी '....जब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर थे
तब जो घोटालों के द्वारा अरबों खरबों के
नोट कमाये थे ।
कुल मिलाकर 'धन मोहन' जी के वक्तव्य से एक हिन्दी भाषा
की कहावत मुझे सहसा याद आ गई .....
"सौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली "
अब यह तो प्रबुद्ध पाठक ही निर्णय करेंगे कि यह
कहावत उक्त पोस्ट के साथ कितनी सार्थक,सटीक और प्रासंगिक सिद्ध होती है ।
जय हिन्द ।जय भारत माता ।
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