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Studied Chemistry at University of Mumbai, Writes on Several Topics.
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भेड़िया और मेमना

एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था। अचानक उसकी नजर एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी, जो पानी पी रहा था। भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा- ‘वर्षों बीत गए, मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया। यह तो छोटी उम्र का है। बड़ा मुलायम मांस होगा इसका। आह! मेरे मुंह में तो पानी भी आ गया। क्या ही अच्छा होता जो मैं इसे खा पाता।’

और अचानक वह भेड़िया चिल्लाने लगा- ”ओ गंदे जानवर! क्या कर रहे हो? मेरा पीने का पानी गंदा कर रहे हो? यह देखो पानी में कितना कूड़ा-करकट मिला दिया है तुमने?“

मेमना उस विशाल भेड़िये को देखकर सहम गया। भेड़िया बार-बार अपने होंठ चाट रहा था। उसके मुंह में पानी भर आया था। मेमना डर से कांपने लगा। भेड़िया उससे कुछ गज के फासले पर ही था। फिर भी उसने हिम्मत बटोरी और कहा- ”श्रीमान! आप जहां पानी पी रहे हैं, वह जगह ऊंची है। नदी का पानी नीचे को मेरी ओर बह रहा है। तो श्रीमान जी, ऊपर से बह कर नीचे आते हुए पानी को भला मैं कैसे गंदा कर सकता हूं?“

”खैर, यह बताओ कि एक वर्ष पहले तुमने मुझे गाली क्यों दी थी?“ भेड़िया क्रोध में दांत पीसता हुआ कहने लगा।

”श्रीमान जी! भला ऐसा कैसे हो सकता है? वर्ष भर पहले तो मेरा जन्म भी नहीं हुआ था। आपको अवश्य कोई गलतफहमी हुई है।“ मेमना इतना घबरा गया था कि बेचारा बोलने में भी लड़खड़ाने लगा।

भेड़िये ने सोचा मौका अच्छा है तो कहने लगा- ”मूर्ख! तुम एकदम अपने पिता के जैसे हो। ठीक है, अगर तुमने गाली न दी थी तो फिर वह तुम्हारा बाप होगा, जिसने मुझे गाली दी थी। एक ही बात है। फिर भी मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। मैं तुमसे बहस करके अपना भोजन नहीं छोड़ सकता।“

यह कहकर भेड़िया छोटे मेमने टूट पड़ा। उसने मेमने की दर्दभरी चीख-पुकार और जीवन दान की प्रार्थना अनसुनी कर दी और मेमने के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।

मेमने का नरम-मुलायम मांस खाते समय भेड़िया मन ही मन मुस्करा रहा था।
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निष्कर्ष- शांतिपूर्ण भेड़ियों से बहस से नहीं जीता जाता । जो भी लॉजिक या संदर्भ देंगे, इस कहानी की शिक्षा से बहुत अलग नहीं होंगे । हमेशा झगड़े का बहाना ढूंढते रहेंगे कि आप ने हमारे पूजनीय को गाली दी और उन्होने हि कह रखा है कि ऐसे को जान से मारना चाहिए तो हम आज्ञाकारी हैं और आप की हत्या का हमें कोई दोष नहीं । #विकासपुरी_के_मेमनारंग न बनें, गड़रिया बनें, आत्मरक्षा के लिए सज्ज रहे क्योंकि पुलिस वाकई समयपर नहीं पहुँच सकती यह देख परख कर ही भेड़िये आते हैं ।

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