हिन्दी English


प्रेमियाने का महीना आ चुका है। आर्चीज़ लाल में सज गयी है। गुलाब का दाम exponential बढ़ रहा है।सांस्कृतिक लाठियाँ तेल पीना शुरू कर चुकी हैं। तो माने मुहूर्त निकल चुका है घिसें-पिटे विषय पर बात करने का , "सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन"। यहाँ बड़े-बड़े दिग्गज प्रेम पर जब बात करते है तो औकात हमारी मूली की डंठल भी नहीं पर पब्लिक डिस्प्ले ऑफ़ अफेक्शन (PDA) की आजादी की तरह ही मेरी भी फ्रीडम ऑफ़ स्पीच है। तो सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शन पर कुछ बातें :

1. जब हम डिमांड करते है ऐसे समाज की जहाँ प्रेम की अभिव्यक्ति बेरोक-टोक आजाद हो, तो देखना ही पड़ेगा इस आजादी का असर। उदाहरण है अमेरिका और पश्चिम के कई देश। पर असर क्या हैं? 50%तलाक की दर वाले इन देशों में प्यार मजबूत हो गया है, ऐसा लगता तो नहीं हैं लेकिन मुद्दा ये नहीं हैं। मेरा सवाल अलग हैं। एक पूरी पीढ़ी के बच्चे जो रास्ते भर में व्यस्को को एक दूसरे से खुलेआम चिपकते देखते हैं, असर उनपर क्या हैं? हाई स्कुल खत्म करने से पहले सेक्स कर लेना। भरोसा ना हो तो सर्च करना शुरू करें कि अब इन सेक्सुली आजाद देशों में 7-8 th के बच्चे किस तेजी से अपनी वर्जिनिटी खोते जा रहें हैं। ये आपको चिंताजनक बात नहीं लग रही हैं तो आपको थोड़ा और सोचने की जरूरत हैं अपने छोटे बेटे-बेटियों को इस परिस्थिति में रख कर देखने की। And moreover जिस देश में 14 करोड़ बच्चे स्कुल ना जाते हो और बाकी को ढंग की textbook नसीब ना हो वहाँ पश्चिम के तर्ज पर स्कुल में कॉन्डोम बाँटना अपने लिए औकात से बाहर की चीज हैं।

2. किसी बच्चे की कन्डीशनिंग सिर्फ उसके माँ बाप नहीं करते हैं। वह अपने आस-पास की हर उस चीज से सीखता हैं जो उसे दिखती हैं। यह बात सार्वजनिक प्रेम प्रर्दशन के ठेकेदार भी अच्छी तरह जानते और मानते हैं। यही वजह है कि ये आजाद विचारधारा के लोग गीता फोगाट जैसी सफल व्यक्ति पर ताली पिटते है और उसे उदाहरण बनाते हैं, फिर आप यह बात कैसे भूल जाते हैं कि आपका "किस ऑफ़ लव" और पार्क में झाड़ के पीछे एक दूसरे पर की गई चढ़ाई से बच्चे नहीं सीखेंगे? माने बच्चों ने ठेका ले रखा है क्या कि वो सिर्फ अपने उम्र के हिसाब से ही सीखेंगे? या फिर आपको फर्क नहीं पड़ता कि आपकी हरकतें देख कर एक अपरिपक्व बच्चे पर क्या असर पड़ रहा हैं?? कम उम्र में हुई यह provocation उसपर क्या शारीरिक और मानसिक असर डाल सकती हैं??

3. अपने देश में PDA को जस्टिफाई करने के लिये एक वाक्य "लैंड ऑफ़ कामसूत्रा एन्ड खजुराहो" को लोग दांत से पकड़ कर रखते हैं लेकिन क्या इन उदाहरणों को देते वक्त आप इतनी हिम्मत रखते हैं कि खजूराहो के पोजीशन आप अपने बच्चों के सामने ट्राई करें?? या आप कितने कम्फर्टेबल है अपने माता-पिता को अपने सामने ऐसा करते देखने में?? अगर सार्वजनिक प्रेम प्रदर्शनन को कोई अश्लील कहता हैं तो आप भड़क उठते हैं लेकिन सेक्स जैसी अति-प्राकृतिक चीज को आप अपने दस साल के बेटे के सामने ट्राई नहीं करना चाहते। मतलब आपके दिमाग में खुद भी शील-अश्लील जैसी कोई बात हैं।तो फिर कुल मिला कर बात है आपके limitations की जो आपने खुद पर भी लगाये ही हैं, फिर इस शारीरिक प्रदर्शन को सार्वजनिक करने की समर्थन आप क्यू दे रहें हैं??

4. एक और तर्क जिसकी लोग पूँछ पकड़ कर रखते हैं वह है कि जानवर भी खुले आम प्रेम प्रदर्शन करते है या जनजातीय लोग भी नंग-धड़ंग इस काम में लगे रहते हैं। अगर आपने Psychology जैसे किसी शब्द पर भरोसा करते होंगे तो खुद को जानवरों और इन आदिमानव किस्म के लोगों से अलग मानते होंगे (जरूरी नहीं ज्यादा समझदार, बस अलग)।आपकी FB से लेकर सैलरी तक की जरूरतें हैं जो आपको एक materialistic जिव की कटेगरी में खड़ा करती हैं।आप हर दिन नई चीजों के सम्पर्क में आते हैं और उसका साथ थोड़ा बदलते हैं। खुले में सेक्स करने वाला कोई आदिवासी शारीरिक प्रेम प्रर्दशन तक में अपनी परम्पराओं को फॉलो करेगा लेकिन चूँकि आप पर कोई बन्धन नहीं है (और आपकी जरूरते उससे ज्यादा हैं) तो आपका सार्वजनिक प्रेम एक्सट्रीम लेवल तक पहुँचेगा।

5. अब बात है मैंने सार्वजनिक प्रेम सम्बन्ध के मामले में "सेक्स" शब्द का प्रयोग क्यू किया हैं? इसीलिए क्यूकी प्लेटोनिक लव जैसी कॉन्सेप्ट सबके वश की बात नहीं हैं और शारीरिक नजदीकी इंसान के लिए हमेशा ही उत्सुकता का विषय रहता हैं। जब आप गाल पर मासूम चुम्बन को सामजिक एक्सेप्टेंस देंगे तो वह कब स्मूच में बदलेगी (और फिर उस से ज्यादा कुछ में) यह बात आपको पता भी नहीं चलेगी।आज दुनियाभर में मनोवैज्ञानिकों के पास ऐसे मामलें बढ़ते जा रहें हैं जहाँ लोग अपनी सेक्सुअल लाइफ से खुश नहीं हैं। नॉर्मल सेक्स उन्हें सटिसफाई ही नहीं करती क्यूकी उनके दिमाग में पोर्न इंडस्ट्री से लेकर 50 shades of gray से निकला ज्ञान ठूँसा जा चूका हैं। BDSM से लेकर हर एक्सट्रीम चीज अपनाने की कोशिश हो रही हैं और एक लेवल पहुंचने के बाद दूसरे एक्सट्रीम तक पहुँचने की चाहत। यह इंसानी उत्सुकता का रिजल्ट हैं, इसीलिए शारीरिक नजदीकियों को दिखाने- सुनाने में थोड़ा लगाम रखना इंसान के लिये जरूरी हैं, जानवरों के लिए नहीं।

6. एक और बात अगर आप प्रेम प्रदर्शन द्वारा इस कट्टर- हिंसक समाज को थोड़ा प्यारा बनाने की कोशिश कर रहें हैं तो आप गलतफहमी में जी रहें हैं। इस दुनिया में सिर्फ "मदर टेरेसा टाइप" प्यार ही फैलता हैं बाकी हरकते सिर्फ ठरक फैलाती हैं।मानती हूँ आप और आपके पार्टनर का प्यार बहुत पवित्र हैं लेकिन आपको देख कर जो आस-पास वालों की लालसा बढ़ती हैं, जरूरी नहीं हैं कि उसमें प्यार जैसा कुछ हो। भर गए है ऐसे कपल जिनमें प्यार का P नहीं होता पर साथ होना स्टेट्स सिम्बल बन चुका हैं। घर पर भले ही जूतमपैजार मचे लेकिन इंस्टा पर "best wife in the whole fucking universe" के हैशटैग के साथ फ़ोटो जरूर आ जाता हैं।
अगर इस प्रेम प्रदर्शन का समाज पर असर आप अभी नहीं समझेंगे तो हो सकता हैं तब समझे जब आपकी 8th क्लास की बेटी bf की डिमांड करें हर तरफ बढ़ती इस हवा को देख कर, या हो सकता हैं तब भी ना समझे क्यूकी दुनिया ऐसे लोगों से भरी पड़ी हैं जिनको समाज में दो-ढाई हजार समस्या नजर आती है पर वो खुद क्या उदाहरण पेश कर रहें हैं समाज के सामने, इस बात से उनको घण्टा मतलब नहीं हैं।

7. बाकी फलाना सेना-ढिमाका दल वालों, आप लोग लड़का-लड़की को शांति से बूढ़े बरगद के निचे बैठ कर बतियाने दे। ढाई किलोमीटर दूर से सूंघ कर राखी या सिंदूर की डीब्बी के साथ न धमक जाया करें। बड़ी टुच्ची हरकत हैं ये। आपके खौफ की वजह से अपने देश के युवाओं का आर्थिक संसाधन रिचार्ज पर जाता हैं और मानसिक संसाधन सुरक्षित झाड़ ढूंढने में।युवा शक्ति इतनी बर्बाद हुई तो क्या खाक देश विकास करेगा? हमारी बहुमूल्य शक्ति आपके द्वारा खड़ी की गयी complication सुलझाने में ना लगे तो हम भी पढ़ाई-लिखाई जैसा कुछ करें।
तो सार यह हैं कि प्यार के पावन पर्व पर (and in general also) प्रेमी युगल ( अविवाहित, विवाहित, समलैंगिक doesn't matter), कृपया प्यार से लबलबाते दिल लेकर कमरे में घुसने की कोशिश करें और बाकी के संस्कृति लठैत इनके पीछे-पीछे होटल में रेड मरवाने ना जाये। Have some लाज-शर्म and have a nice valentine..

टिप्पणी

क्रमबद्ध करें

© C2016 - 2024 सर्वाधिकार सुरक्षित