भारत मे बनाया गया था सबसे पहला हवाई जहाज
हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबर सन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया|
अगर आज किसी को पूछा जाये कि सबसे पहला हवाई जहाज किसने बनाया ? तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबर सन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जहाज की कहानी शुरू होती है|
लेकिन अभी कुछ दस्तावेज़ मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया ! जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, वहाँ उनका जन्म हुआ और पढ़ाई लिखाई की !
उन्होंने एक गुरु के सान्निध्य मे संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| आपको जानकर हैरानी होगी की भारत मे तो विमान बनाने पर पूरा एक शास्त्र लिखा गया है उसका नाम है विमानशास्त्र ! और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो है “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भारद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सेकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुरानी पुस्तक 1500 साल पुरानी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए |
शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भारद्वाज के विमान शास्त्र की पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे –
- > “इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनिकी का ही वर्णन है”
- > “आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है”
- > “महर्षि भारद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है”
एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे एक इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, और ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने !! अर्थात मने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर|
इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के –
> “इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे”
यह तो (Technology) तकनिकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनिकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किस्म के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; मने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह कितना बड़ा ग्रन्थ है!
इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पढ़ा अपनी विद्यार्थी जीवन से पढ़ा , और पढ़ पढ़ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे,! तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुआ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया|
और हैरानी की बात यह थी जिस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ | जबकि बिना चालक के उड़ने वाला विमान 2 -3 साल पहले अमेरिका ने बनाया है जिसे ड्रोन कहते है और भारत मे सन 1895 मे लगभग 110 साल पहले तलपड़े जी ने ये बना दिया था ! और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत सकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर नीचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने ईनाम की घोषनाये की |
तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अच्छी स्थिति नही है| तो लोगो ने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषणाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोखा हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्राइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदद करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझोता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये|
तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मान गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझोता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडेल था उनसे ले लिया, ड्राइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्राइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुँच गयी| फिर अमेरिका मे Write Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Write Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया|
तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आता है, सब तकनिकी आती है, सब आता है पर चालाकी नही आती; वो एक गाना है न ‘सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी ’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक ही चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|”
शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुआ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Write Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन चुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था|
अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम ही दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बेईमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझोता करने के बाद बेईमानी की थी उन्होंने