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आप लोगों ने कल का भारत और इंग्लैंड के बीच हुआ मैच देखा। कुछ लोगों ने तो बीच मैच में ही अपना टीवी बंद कर दिया । इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 350 रन बनाए और भारत को जीत के लिए 351 रन का लक्ष्य दिया। लक्ष्य मुश्किल था और हम में से कई लोग से लगातार कई सालों से क्रिकेट देखते आ रहे हैं उनको भी यह लगा कि अब यह मैच मुश्किल होने वाला है। शिखर धवन,लोकेश राहुल, 3 साल बाद टीम में लौटे युवराज सिंह और कप्तानी से दबाव मुक्त होने के बाद पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल रहे पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी जब जल्दी ही पवेलियन लौट गए तो लगने लगा कि अब यह मैच भारत के हाथ से निकलने वाला है लेकिन फिर वही हुआ जिसकी हममें से अधिकतर लोगों ने उम्मीद नहीं की थी ।
एक छोर पर आज के युवा क्रिकेट प्रेमियों की धड़कन विराट कोहली डटे हुए थे तो दूसरे छोर पर उन्हें अपने गृह मैदान पर खेल रहे केदार जाधव का साथ मिल गया । दोनों ने मिलकर भारत को फिर से जीत की राह पर डाल दिया । इस मैच में विराट कोहली ने अपना 27वां और केदार जाधव ने अपना दूसरा शतक जड़ा । गौर करने वाली बात यह है कि इन 27 शतकों में से कोहली का लक्ष्य का पीछा करते हुए यह 17 वां शतक था । कोहली ने अपना शतक क्रिस वोक्स की गेंद पर मिड ऑन में शानदार छक्का मारते हुए पूरा किया वहीं केदार जाधव ने भी अपना शतक वोक्स की ही गेंद पर चौका मार कर पूरा किया । 38वें ओवर में 2 छक्के मारने के बाद मांसपेशियों में खिंचाव से केदार परेशान हुए और जल्दी अपना विकेट गंवा बैठे लेकिन आउट होने से पहले वह अपना काम कर चुके थे । उन के बाद आए हार्दिक पांड्या और आर. अश्विन अपनी टीम को जीत दिला दी ।
यह तो रहा मैच का हाल अब बात करते हैं उस जज्बे की जिसने इस हारे हुए मैच को जीत की राह पर डाल दिया । विराट कोहली और केदार जाधव दो नाम रहे जिन्होंने इस मैच का पासा ही पलट दिया । एक समय इंग्लैंड के हाथ में नजर आ रहा यह मैच धीरे-धीरे उनके कब्जे से छीनकर भारत के पाले में लाने का पूरा श्रेय इन दोनों खिलाड़ियों को ही जाता है और वह ऐसा कर पाए इसके पीछे मैं देख पाता हूं कि वह जज्बा ही है जिसने एक बार भी इन लोगों के मन में यह ख्याल नहीं आने दिया कि हम यह मैच हार भी सकते हैं । जिन लोगों ने यह मैच पूरा देखा वह बड़ी आसानी से इस चीज को समझ सकते हैं केदार जाधव की बल्लेबाजी देख कर एक बार भी है नहीं लगा कि वह कभी भी इतने बडे स्कोर से दबाव में हैं । विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में एक नए युग का सूत्रपात कर दिया है और आप इस बात को गाँठ मार लीजिए आज की भारतीय क्रिकेट टीम में हर खिलाड़ी मानसिक रुप से इतना मजबूत है कि किसी भी बड़े से बड़े स्कोर के सामने वह खुद को दबाव में महसूस नहीं करेगा । यह बदलाव एक दिन में नहीं आया है, 1 साल में नहीं आया है । इस बदलाव को आने में बहुत लंबा समय लगा है । मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी से लेकर महेंद्र सिंह धोनी तक एक लंबा समय व्यतीत हो चुका है और उसके बाद ही हमारे खिलाड़ियों ने इस भावना को आत्मसात कर पाया है कोई भी लक्ष्य इतना बड़ा नहीं की उसे पाया न जा सके ।
सकारात्मक दृष्टिकोण से हर एक लक्ष्य छोटा हो जाता है ।

आदित्य बशिष्ठ

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