सरकार के दावे फुस्स, यहाँ तो गड्ढों में है सड़क
सत्ता में आते ही प्रदेशवासियों को गड्ढा मुक्त सड़कों का सपना दिखाने वाली योगी सरकार का ये वादा भी जुमला साबित हुआ। देखा जाये तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के आदेश का असर सिर्फ 10 फीसदी हुआ है, बाकी स्थिति पहले से भी खराब हो गयी है। हाईवे छोड़ प्रदेश की 60 फीसदी सड़के बिलकुल चलने लायक नही हैं।
सत्ता में आते ही प्रदेशवासियों को गड्ढा मुक्त सड़कों का सपना दिखाने वाली योगी सरकार का ये वादा भी जुमला साबित हुआ। देखा जाये तो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के आदेश का असर सिर्फ 10 फीसदी हुआ है, बाकी स्थिति पहले से भी खराब हो गयी है। हाईवे छोड़कर बात की जाये तो प्रदेश की 60 फीसदी सड़के बिलकुल चलने लायक नही हैं। हालत ये है कि यहां सड़क में गड्ढे नही बल्कि गड्ढों में सड़क है। एक ओर वादा न पूरा कर पाने के बावजूद सरकार और उसके सिपहसालार अपनी पीठ थपथपा रहे हैं वहीं जनता इसे अपने साथ छल मान रही है।
राजधानी लखनऊ से लेकर फैजाबाद, गोरखपुर, बस्ती और देवीपाटन मंडलों में सड़कों की खराब हालत सरकार के सक्रियता की पोल खोल रही हैं। मीडिया दस्तक के पास आगरा से लेकर बलिया तक की रिपोर्ट है, कहीं भी सड़कों की स्थिति अच्छी नही है। संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर में तो सड़कें देखकर हालात पर रोना आता है। इटवा से देवीपाटन सिद्ध पीठ को जोड़ने वाली सड़क पर एक बार यात्रा कर लीजिये, सरकार का वादा आपको गाली जैसा लगने लगेगा।
पिछले तमाम दावों की तरह योगी आदित्यनाथ सरकार का एक और दावा फुस्स हो गया, कहा था कि प्रदेश की सड़कों को 15 जून तक गड्ढा मुक्त बनाया जाएगा, लेकिन आप लखनऊ के किसी भी कोने में रहते हो, आपको सड़क पर गड्ढे ढूढ़ने नही पड़ेंगे। जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी को 85 हज़ार किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन वह अब तक सिर्फ 6800 किलोमीटर सड़क ही बना पाई है।
जिसके चलते सरकार अब विभाग को 15 दिन की और मोहलत दे रही है। गुरुवार को शाम 5 बजे सभी सड़कों को गड्ढामुक्त करने की समय सीमा समाप्त हो गयी है, लेकिन अभी तक महज 60 फीसदी सड़कें ही गड्ढामुक्त हो सकीं हैं। जिसकी वजह से सरकारं ने फैसला लिया है कि अब 30 जून तक बाकी सड़कों को दुरुस्त किया जाएगा।
वही यह लक्ष्य पूरा न होने पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि “ढाई महीने के अल्प कार्यकाल में ही हमने 73 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कों को मोटर दौड़ने लायक बना दिया जो कि किसी उपलब्धि से कम नहीं है। पिछली बसपा-सपा सरकार में गड्ढा भरने के नाम पर सिर्फ बजट की बंदरबांट ही होती थी, लेकिन हमारी सरकार में जमीन पर काम हो रहा है। इसी को कहते हैं बेशर्मी। बीजेपी के लोग आधी से ज्यादा गलतियां बड़बोलेपन में कर जाते हैं।
जो सड़के अभी तक बनायी गयीं, उन्हे बरसात में बनाने का क्या हस्र होगा आप जान सकते हैं। फिलहाल योगी सरकार के लिये बेहतर होगा कि फैसले लेने से पहले, हालातों को बारीकी से समझा जाये, संसाधनों और कार्यक्षमता का भी ध्यान रखा जाये, वरना हर फैसले की हवा यूं ही निकलती रहेगी और एक दिन ऐसा आयेगा जब जनता सरकार की हवा निकाल देगी।