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ताकी सनद रहे...


जब दुनिया के किसी भी कोने का बच्चा गुगल पर सर्च मारेगा की दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा कौन सी है और गुगल कहेगा महान योद्धा 'छत्रपती शिवाजी महाराज' का। बच्चा सोचेगा कौन है वह जिसकी बना दी गयी है इतनी ऊँची प्रतिमा? फिर वह खोजेगा इतिहास के गलियारों में और पायेगा कि ..


कैसे एक मात्र चौदह साल का बच्चा अपने राष्ट्र और भुमी के सम्मान के लिये लड़ने की शपथ लेता है...


वह जानेगा की महज कुछ मावलों को साथ लेकर कैसे वह बच्चा विदेशी आंक्राताओं के साम्राज्य की जड़ें हिला देता है..


वह जानेगा की कैसे उस वीर ने अपने से ऊँचे चौड़े अफजल खान को दगा देने पर चीर दिया और उसे शिक्षा मिलेगी की कैसे बड़े से बड़े मुसीबत के सामने खड़ा रहा जाता है..


वह पढेगा कैसे किया जाता हैै महिला सम्मान जब उनकी सेना विरोधी की एक महिला को उठा लाते हैं शिवाजी को खुश करने के लिये और शिवाजी दंड देते हैं अपने ही सैनिकों ..


वह सिखेगा कूटनीति की कैसे जब हमारा पक्ष कमजोर हो तो पिछे भी हटना होता है और पुरंदर की संधी कर अपने किले गवाना पड़ता है..


वह जानेगा की एक राजा ऐसा था जिसके लिये उसका सैनिक तानाजी मालसुरे अपने बेटे की शादी छोड़ सिंहगढ जीत लाता है प्राण गवां कर ...


वह जानेगा की यह वह वीर पुरूष था जिसने अपना सारा जीवन खपा दिया स्वराज्य के लिये...वह स्वराज्य जिसमें वहाँ के लोगों को राज हो..


वह जानेगा की कैसे किया जाता है पिता सम्मान और उनकी बात का मान जब पिता शहाजी के एक इशारे पर वह कितने किले लौटा दिया करते थे..


वह जानेगा की भले ही लड़े शिवाजी किसी धर्म विशेष के राजाओं से पर कभी धर्म की लड़ाई नहीं बनायी ..सेना में कभी मजहब देख भर्तीयाँ नहीं कि...पर फल मिला की उनके बेटे संभाजी को औरंगजेब ने आँखो में गरम सलाखें घुसा, जीभ काट . हाथ पैर उखाड़ मारा कारण उसने धर्म नहीं बदला...


उसे पता चले की यह पुतला बना है ताकी भविष्य को सनद रहे की भुतकाल में भारत की जमीन पर एक महान राजा का जन्म हुआ जिसने महज एक प्रांत की ना सोचकर पुरे देश में ना सिर्फ स्वराज्य की परिकल्पना की बल्की उसे मुकम्मल भी किया... जो भविष्य भारत की मौजूदा सिमाओं के पार गया..


ताकी सनद रहे की भारत की सहनशीलता उसका चरित्र है कमजोरी नहीं..

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