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बात ये है की पाकिस्तान का निर्माण लोकतंत्र के खिलाफ और उसकी डर से हुआ था ?
इसलिये आज भी कुछ लोग इस लोकतंत्र को अपना नही समझते उसकी आड़ मे अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं ??

बहुत बड़े कुतर्की हो यार , पहली बार किसी के मुँह से सुन रहा हूँ ?

देखो , पूरा इतिहास बताने लँगूगा तो लम्बी बात हो जायेगी , बस छोटे रास्ते से ले चलता हूँ, मतलब तारीख और घटना हटा के , तर्क का रास्ता ?

दो कौमी नजरिया की उपज जो हैं , वह जेहादी मानसिकता और बादशाहत कायम करने का नजरिया हैं , वह लोकतंत्र के भय से उपजा , ना की किसी बात और कारण / और सब बाते ,कारण , वैचारिक दोष हैं , तुम्हे पता होना चाहिये पाकिस्तान का निर्माण सबसे शिक्षित मुसलमानो ने कराया था ,
जिन्ना , नेता थे , वैचारिक कमान , इक़बाल के हाथ मे थी , अलीगढ़ के विधार्थी , कार्यकर्ता थे , यूपी - विहार के नबाब पैसा उपलब्ध करा रहे थे , इसमें सभी लोग शिक्षित थे ,,

देखो इतिहास को समझने का सबसे अच्छा तरीका , वर्तमान को अतीत से जोड़ना होता हैं ,
जैसे आज हर मुस्लिम देश मे एक धड़ा , अमेरिका का तलवा चाट रहा हैं ना , वैसे उस समय मुस्लिम लीग वाले , ब्रिटेन का तलवा चाट रहे थे , प्रस्ताव पारित कर इंग्लैंड के प्रति आस्था व्यक्त कर रहे थे ,,, लेकिन थे बेवकूफ ?

जब भारत के आजाद होने की सुगंध आने लगी , तब ये निश्चित हो गया भारत लोकतंत्र से आगे बढ़ेगा , ये छुटभैये वामपंथी बुद्धजीवी सोचे हम इन मुस्लिम का साथ दे के , लोकतंत्र रोक के स्टालिन की मुछ लायेंगे , लेकिन अंदर का तापमान दूसरा था ??
लोकतंत्र का सीधा मतलब होता हैं , संख्याबल ,
जब लोकतंत्र आने वाला था तो संख्याबल हिंदू का अधिक था ,ये अलग बात थी की आदर्श लोकतंत्र मे ये बात लागु नही होती ,
जो शिक्षित मुस्लिम था वो हिंदू के अधीन नहीँ रहना चाहता था , वो रास्ते खोज रहा था , और टैगोर को नोबल प्राइज मिलने से इकबाल कुंठित था , वो भी जा मिले , अलीगढ़ विश्व विधालय के छात्र आंदोलन की रूप रेखा बनाये , भारत विभाजन की पूरी तैयारी हो गई ,

जिन्ना ,विस्की और सुवर खाने वाला आदमी मुसलमान का नेता बन गया ,
जिन्ना ये समझाने मे सफल हो गया , हिदु - मुसलमान दो कौम हैं , साथ नही रह सकती ,
गाँधी चिल्लाते रहे गाँव - गाँव मे हिंदू - मुस्लिम साथ रहते हैं , ये गलत बात हैं ?
संत और महात्मा से नवाजे गये महात्मा गाँधी की एक ना चली , ऐसे व्यक्ति का हारना , मतलब जेहाद का जितना हैं , जबकि इसकी परिभाषा कुछ और हैं , उपयोग कुछ और हैं ??,
नबाब महमूदाबाद हो , या ओवैसी के अब्बा हो , सब धन उपलब्ध करा रहे थे , बस हवा चलने की देर थी , पेड़ की जड़ कट चूँकि थी ,,

तुम तो कहते हो नेहरू की भी गलती थी ?

नही मै ये कह रहा था , नेहरू अकेले व्यक्ति थे जो विभाजन रोक सकते थे ?

नेहरू के भक्तो की संख्या आज भी कम नही हैं , इनमें अटल विहारी भी थे ? ये लोग गुलाब के शौक़ीन थे और भारत को तुच्छ समझते थे ,(सबकी बात नही हैं , अटल जैसे लोग अपवाद भी थे)
गुलाब का शौकीन व्यक्ति दो चीजों का शौकीन होता हैं , एक सत्ता का , दूसरा एडविना का ,नेहरू के पास की कई रास्ते थे , देश को विभाजन से बचाने के , लेकिन इसके लिये सत्ता त्यागनी होती , पहला तो यही था ,जिन्ना को थी टीबी , वह दो सालों मे मर जाता , सबको पता था , उसको प्रधानमंत्री बना देते तो सब मामला शांत हो जाता ,
दूसरा केबिनेट मिशन प्लान मान लेते , जिसको जिन्ना मान लिया था , नेहरू ने रिजेक्ट कर दिया , उसमें था भारत संघ मे पाकिस्तान रहता उसको स्वायत्तता मिलती ,,

संघ , सावरकर की भूमिका भी तो रही होगी ??

बड़े अजीब आदमी हो यार , गाँधी , नेहरू , पटेल , जिन्ना , इकबाल , मौलाना आजाद , लार्ड के सामने ये लोग क्या थे ? केवल चिल्लाने वाले लोग थे , ये आपस मे ही नही समझ पा रहे थे क्या करना हैं , जो ये सब थे , पहले काँग्रेसी कार्यकर्ता थे , खिलाफत आंदोलन मे गाँधी के विरोध मे निकल आये ,, इतिहास मे मत जाओ , यह इतिहास लिखने की जगह नही हैं , कुछ काम लाइब्रेरी मे होते हैं ,

दुर्भाग्य देखिये जो मुस्लिम ,पाकिस्तान का विरोध किये उसमें से 70 % पाकिस्तान मे हैं , और जो समर्थन किये उसमे से 50 % भारत मे हैं , तुम्हें पता हैं , सिंध और सीमांत प्रांत मे , मुस्लिम लीग हारी थी चुनाव मे , कांग्रेस जीती थी ।

तुम्हारा कुतर्क कोई सुनेगा ??

ना सुनें तो अच्छा हैं , सत्य सुनने और कहने का साहस बहुत कम लोगो पास रह गया हैं , एक बार इसी चक्कर मे मार्क जुगरबर्ग ने ब्लाक कर दिया था , ये तो मै एक सज्जन के अनुरोध पर लिख दिया ,,

मेरे कुतर्क का साक्ष्य ये हैं , आज भी पाकिस्तान मे जागीर दारी , जमीरदारी हैं , सेना का कब्जा हैं ,, हिन्दुवों , शिया , अहमदी की वहाँ हत्या होती हैं , और भारत मे ओवैसी , इमरान मसूद जैसे नेता हैं ।।

लोकतंत्र की लड़ाई अभी जारी हैं , हो सकता हैं , एकाध और विभाजन के बाद मामला सलट जाय ।
अरे बताया नही , मुस्लिम लीग वाले कैसे बेवकूफ थे ??
फिर कभी पुंछ लेना ??

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