क्या आप ने किसी पूर्व वामी को गुरु माना है?
वामी दो तरह के होते हैं । एक जो जगीरा क्लासेस में सीखे हैं और दूसरे जो उनकी बातों को वाकई सच मानते हैं कि हाँ, सुधार नहीं, क्रांति आवश्यक है । दूसरे इस्तेमाल होते हैं और धीरे धीरे सिस्टम से बाहर निकल जाते हैं । या फिर मन ही मन apostate मुसलमान की तरह सक्रिय नहीं होते लेकिन मजबूरी से ज़कात देते रहते..
क्या आप ने किसी पूर्व वामी को गुरु माना है ?
वामी दो तरह के होते हैं । एक जो जगीरा क्लासेस में सीखे हैं और दूसरे जो उनकी बातों को वाकई सच मानते हैं कि हाँ, सुधार नहीं, क्रांति आवश्यक है । दूसरे इस्तेमाल होते हैं और धीरे धीरे सिस्टम से बाहर निकल जाते हैं । या फिर मन ही मन apostate मुसलमान की तरह सक्रिय नहीं होते लेकिन मजबूरी से ज़कात देते रहते हैं उसी तरह levy देते रहते हैं । उनकी व्यवस्था कहीं न कहीं उनका लाभ कराती है या फिर उसे छोड़ने के नुकसान डरावने होते हैं । फिर भी कोई कोई निकल जाते हैं जिनका जमीर मरने से इनकार कर देता है ।
बाकी जगीरा क्लासेस के होनहार अलग होते हैं । अवसरवादी भी होते हैं जो वाम से मोहभंग होने का ड्रामा करके आप के बीच शामिल होते हैं । उनके पहचान के कुछ लक्षण आप को बताता हूँ, पहली बात तो यह होती है कि लड़कियां अपने माइके का करती हैं उससे भी ज्यादा गुणगान ये वाम के तौर तरीकों का करते रहेंगे । आप के हर सुझाव सब के सामने खारिज करते रहेंगे और सब के सामने सब को टुच्चे साबित करेंगे । लेकिन बंदा खुद अपने तरफ से एक भी सुझाव नहीं देगा जिसपर चर्चा हो सके । सब को खारिज कर के यह स्थिति लाएगा कि कोई उसके सामने मुंह खोलने को डरे । इस तरह से ये खुद को नेता बनाएँगे आप के बीच में । और भी एक काम करेंगे कि आप को खारिज करते समय हमेशा पूरे ग्रुप की बात करेंगे - हमें ऐसा क्यों करना है, हमें ऐसा क्यों सोचना है - जिससे हर ग्रुप सदस्य तुरंत आप की सोच से अलग हो जाएगा, सोचेगा कि आप का साथ देकर वो मूर्ख दिखाया जाएगा। यही इस वामी का शस्त्र होता है ।
लेकिन जब वो नेता बनेगा या वो स्थिति आएगी जब उसे कोई चैलेंज नहीं कर रहा हो तब वो अपनी राय हमेशा "मैं" से ही रखेगा । "मेरी नजर में -” को महत्व दिलाएगा । और जहां जरूरत हो वहाँ हिंसा करेगा, ये अहिंसक कभी नहीं होते, लेकिन हिंसा का समर्थन यूं करेगा कि जिसे मारा वो ग्रुप की विचारधारा बिगाड़ रहा था, गणशत्रु था। वैसे इस्लाम में भी apostate की हत्या के संदर्भ इस से बहुत अलग नहीं होते, ध्यान देकर एक एक शब्द को पढ़ना होता है, वे ही इन बहेलियोंके traps होते हैं जिनमें आप का दिल बहलाकर वे आप को फँसाते हैं। हमें चाहिए आजादी का मतलब ये दे उतनी ही आजादी कब हो जाता है ये आप समझे तब तक देर हो जाती है आप के लिए ।
जो मैंने मोहभंग के ड्रामे की बात की थी उसके बारे में मेरे नजर में Sinon सब से उत्तम उदाहरण है । ये वो ग्रीक सैनिक था जिसने खुद को मामूली जख्म कराकर ट्रॉय वासियों को अपने शब्द जाल में इस कदर फांस लिया कि उन्होने अपने किले की दीवारें खुद तोड़ी और लकड़ी का घोडा अंदर दाखिल करा लिया जिसमें ग्रीक सैनिक छुपे थे। वैसे भी, सूर्यदेवता के आशीर्वाद से किले की दीवारें अभेद्य थी बाहरी शत्रु के लिए, लेकिन इन्होने अपने ही हाथों से तोड़ी तो आशीर्वाद विफल हुआ, सूर्यदेव क्रोधित भी हुए । ट्रॉय का क्या हुआ, कहानी प्रसिद्ध है ।
पुराने काम्रेड, साम्यवादी से अधिक घाघ अवसरवादी होते हैं । अपने समकक्ष आप को कभी बनने नहीं देंगे, ना ही आप को वाम के गुर सिखाएँगे । आप को हमेशा खारिज करते रहने में ही उनका लाभ है कि आप को चूसते रहें । जब आप को निचोड़ लेंगे तो ये parasite कोई और host खोजेंगे । बाद में आप को पता भी नहीं चलेगा कि ये वापस कब चले गए क्योंकि आप का अस्तित्व नहीं बचा होगा । होगा भी तो आप की कोई आवाज नहीं होगी।
रहिमन ये लेख शेयर ही नहीं, सेव भी कर राखिये । जाने किस मोड पर वामी घात लगाए मिल जाय ।