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उत्तर प्रदेश पार्ट-1


चुनावी समर सामने है तो आइये देखते हैं उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार कहाँ टिकती है......ज्यादा दूर नहीं जाते हैं....आज उत्तर प्रदेश और पूर्व में उसी का एक हिस्सा रहे उत्तराखंड की तुलना करते हैं...
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सन 2000 में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हुआ....उससे पहले वहां की हालत भी कमोबेश उत्तर प्रदेश जैसी ही थी..मैं खुद उत्तराखंड से हूँ और पूर्व में उत्तर प्रदेश का नागरिक रहा हूँ....दोनों इलाके भलीभांति देखे हुए हैं सो मुझे लगता है कि मैं इस तुलना के साथ न्याय करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हूँ.......
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2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद से उत्तराखंड की आर्थिक प्रगति का प्रतिशत 13.64% रहा जबकि उत्तर प्रदेश का महज 7.1%......
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2000 तक उत्तर प्रदेश का हिस्सा होने के कारण उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय वही थी जो कि उत्तर प्रदेश की.....आज उत्तराखंड की प्रति व्यक्ति आय ₹115632 है (नेशनल एवरेज से ज्यादा ) जबकि उत्तर प्रदेश की ₹40373..लगभग तीन गुना का अंतर......अब बात करें Gross Domestic State Product (GSDP)-PPP अर्थात purchasing power parity की तो वहां भी उत्तराखंड ₹546988 पर है तो उत्तर प्रदेश ₹191151 पर....और आपको एक मजे की बात बता दूं कि इन दोनों मानकों के आधार पर उत्तराखंड गुजरात के बहुत ही समीप है....महज साढ़े उन्नीस-बीस का फर्क है....
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हम जब छोटे थे तो अपने ननिहाल या गाँव जाना होता था तो पक्की सड़क से कम से कम पांच सात किलोमीटर चढ़ाई वाले पहाडी रास्तों से होकर जाना पड़ता था....आज उत्तराखंड के लगभग हर छोटे-बड़े गाँव के लिए पक्की सड़क है....मेरे ननिहाल में अब मात्र आठ-दस परिवार ही रहते हैं लेकिन सड़क पक्की है.....इस बारे में एक बात और बता दूं कि पहाड़ों में सड़क बनाना मैदानी इलाकों से कई गुना कठिन कार्य है...
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बिजली की स्थिति उत्तर प्रदेश से कई गुना बेहतर है......सामाजिक सुरक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश उसके सामने कहीं नहीं टिकता.....शिक्षा में उत्तराखंड 79.63% पर है तो उत्तर प्रदेश 66% पर......
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उत्तराखंड बनने के बाद से काशीपुर(रुद्रपुर),हरिद्वार,हल्द्वानी और देहरादून को इंडस्ट्रियल हब के तौर पर डवलप किया गया...आज वहां IT,बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से फलफूल रही है.....लाखों लोगों के लिए रोजगार पैदा हो रहा है सो अलग...
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अब अगर आप ये कहें कि उत्तराखंड छोटा राज्य है.....उसे मैनेज करना आसान है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इतना छोटा भी नहीं है...पंजाब,हरियाणा और केरला से बड़ा है..... :)
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अब उत्तर प्रदेश की जनता को खुद फैसला करना है कि अपनी भलाई के लिए वो परिवर्तन चाहती है या फिर इसी रावण-मेघनाद की जोड़ी को ही रिपीट करना है.... क्रमशः

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उत्तर प्रदेश पार्ट-2

अक्सर सपा,कौंग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा गुजरात के विकास मॉडल को झूठा करार दिया जाता है जिसके आधार पर मोदी को “”फेकू””की उपाधि से भी नवाजा गया है....मैंने बहुत करीब से नॉर्थ भी देखा है और गुजरात भी...सो फिर से मैं कह सकता हूँ कि मैं इस बारे में बताने के लिए उपयुक्त व्यक्ति हूँ.....
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मोदी ने जब कार्यभार संभाला उस ज़माने में गुजरात पावर और पानी के संकट से गुजर रहा था.....पावर की समस्या इतनी थी कि लोग अक्सर कैंडल लाइट डिनर ही किया करते थे....मैं कंपनी की कॉलोनी में रहता था सो अन्दर पता नहीं चलता था लेकिन शहर के वातावरण में छाई कालिमा बताती थी कि बिजली नहीं है.....संचार के साधनों की बड़ी कमी थी..बेरोजगारी चरम पर थी..
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मोदी के आने के बाद जो कार्य हुए वो ये हैं.......24 घंटे बिजली,24 घंटे पानी,हर गाँव में कंप्यूटर और वीडिओ कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा,बेहतरीन सड़कें,उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण,सरकार की प्रोफेशनल कार्यप्रणाली,सिंगल विंडो वर्क सिस्टम,पर्यटन स्थलों का विकास,पर कैपिटा इनकम में वृद्धि...यहाँ गाँवों में इतनी सुविधा दे दी गई है कि लोगों को शहरों की ओर पलायन की आवश्यकता ही नहीं रही...लोग जागरूक हैं....वोट के बदले सरकार से सवाल जवाब करते हैं....... इसके अलावा ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोतों जैसे विंड पावर,सोलर एनर्जी पर जो कार्य हुआ है वो काबिल-ए-तारीफ़ है..गाँव के गाँव इन्ही से जनित पावर प्रयोग करते हैं.....गुजरात में बेरोजगारी की दर भारत में सबसे कम है.
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सूरत भारत के सबसे गंदे शहरों में गिना जाता था.....आज मोस्ट प्रोस्परस सिटीज में टॉप पर है....कई शहरों में BRTS सिस्टम शुरू किया गया जिसके तहत बसों के लिए मुख्य मार्गों के बीच अलग से एक सड़क बनाई गई ताकि बसों के कारण शहर के यातायात पर असर ना आये...लोकल ट्रेन जैसा नेटवर्क.....
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2002 के लिए मुस्लिम मोदी को भले गालियाँ दें लेकिन ये एक अकाट्य सत्य है कि मुस्लिमों की स्थिति चाहे वो आर्थिक हो या सामाजिक, गुजरात से बेहतर कहीं नहीं है...पूर्वाग्रहों से ग्रस्त लोगों का वैसे भी कोई इलाज़ नहीं है...
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गुजरात में आपको अगर व्यापार करना है तो सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय के सिंगल विंडो में जा सकते हैं....हर उद्द्यमी को उद्योग के लिए जरूरी सुविधाओं की सरकारी गारंटी......किन्तु साथ में उद्द्यमी को तय सीमा के अन्दर अपना उद्यम शुरू करना होगा जिसकी समीक्षा खुद मुख्यमंत्री कार्यालय से की जा सकती है......
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ये देख आप हैरान रह जायेंगे कि नवरात्री के दौरान रात के दो-ढाई बजे भी गहनों से लदी लडकियां और महिलायें आराम से सड़कों पर घूम रही हैं....कोई अपराध नहीं..कोई छीना-झपटी नहीं....कोई छेड़छाड़ नहीं......महिलाओं के लिहाज से भी मैंने गुजरात से सुरक्षित कोई जगह नहीं देखी...
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उत्तर प्रदेश की जनता एक ही सवाल पूछना चाहता हूँ कि उत्तर प्रदेश का जो भी व्यक्ति वहां से यहाँ आता है वो वापस जाने का नाम क्यों नहीं लेता ?? अगर आपके नेताजी और उनके सुपुत्र वास्तव में उत्तरप्रदेश में इतना ही अच्छा कार्य कर रहे हैं तो इतना पलायन क्यों ??अगर ये सब विकास नहीं है तो फिर शायद किसी दूसरे ग्रह में विकास ढूंढना पड़ेगा....
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मोदी ने 12 साल में गुजरात के लिए जो किया उसकी तुलना 15 साल के सपाई शासन से करें.....आपको सब समझ में आ जायेगा....

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