मोदी से चिढ़ते जिन्हें
कौन लोग मोदी से चिढ़ते हैं, कविता के माध्यम से प्रस्तुत है.
मोदी से चिढ़ते जिन्हें , ...............
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"मोदी से चिढ़ते जिन्हें ,मातृभूमि से वैर ।
आतंकी सहमें हुये , मना रहे हैं खैर ।।
मना रहे हैं खैर ,हिंदु जन नहीं डरेंगे ।
अति पिछड़े मजदूर ,दलित भी मौज करेंगे ।।
अगड़ा पिछड़ावाद ,सेकुलरों की जड़ खोदी।
वर्णवाद मनुवाद ,शत्रु सबके हैं मोदी ।।"
विशेष ...
हिंदु जन .... हिन्दुस्तान के समस्त निवासी जो आतंक की दहशत में दशाब्दियो से डरे सहमे जी रहे हैं ।
सेकुलर ... जिन्हें भारत और भारतीयता से हर स्तर पर वैर ,धर्म से घोर विरोध ,किन्तु मजहब और मजहबी रीति रिवाजों में निष्ठा ।
वर्णवाद ....विशुद्ध रूप से गुण कर्म पर आधारित, वर्णव्यवस्था को जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था में रूपान्तरित करके उसको विखण्डन कारी रूप दे दिया । जातिवाद विषाक्त रूप में 'वर्णवाद ' कहलाता है ।इसके दो ख़तरनाक पहलू यह एक ओर से 'सवर्णवाद 'और दूसरी ओर से 'अवर्णवाद' के रूप में दिखाई देता है ।ये दोनों भारत राष्ट्र् के लिये समान रूप घातक सिद्ध हुये हैं । एक दूसरे के पूरक और सहयोगी सहायक हैं ।
मनुवाद ... गुलाम अली 'मनु ' ( पूर्व नाम पण्डित बजरंग दास अकबर का दरबारी ) ,उसके निर्देश पर इसने अनेक भारतीय मान्य
ग्रंथों में अनर्गल अंश जोड़ दिए जो मूल ग्रन्थ के उद्देश्य से सर्वथा विपरीत अर्थ देने लगे । मनुस्मृति सबसे ज्यादा भ्रष्ट की गई । ज्यादा विस्तार में न जाकर निष्कर्ष की बात यह है ।उपलब्ध मनुस्मृति वैवस्वत मनु द्वारा रचित मनुस्मृति नहीं है ।यह भारतीय समाज
को शासन के निर्देश पर स्थाई रूप से ई विघटित करने के लिये 'गुलाम अली' " मनु "द्वारा लिखित मनुस्मृति है ।यह यह पढने योग्य भी नहीं है । आजकल दशाब्दियों से चर्चित "मनुवाद" का स्रोत यही फर्जी मनुस्मृति है ।