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कल मंगलवार - दिनाँक 28 मार्च 2017 को
सुबह
विक्रम सम्वत 2074 प्रारम्भ होगा
वसन्त ऋतू होगी
सृष्टि संवत
गताब्द
1955885118 मतलब एक अरब पिंचानवें करोड़अठ्ठासी लाख पिचयासी हजार एक सौ अठारह वर्ष इस सृष्टि के पुरे हो चुके है
मंगलवार का दिन 1955885119 का पहला दिवस होगा
गत कलि 5118
प्रारम्भ कलि 5119
राण रावण युद्ध गताब्द
880159
कृष्णवतारो गताब्द
5213
महाभारत युद्ध गताब्द
5118
राष्ट्रिय शक सम्वत 1939
यह सामान्य सम्वत्सर गणना है
युधिष्ठर जन्म का यह 5254 वा वर्ष चल रहा है
भगवान आद्य शंकराचार्य के जन्म का यह 2497 वा वर्ष चल रहा है
इनका जन्म विक्रम सम्वत से पूर्व 423 -424 वर्ष में हुआ था
जन्म तिथि वैशाख शुक्ला पंचमी
महावीर जैन संवत 2543 -44 चल रहा है
ईस्वी संवत मतलब ग्रैगेरियन कलेंडर का सन 2017 चल रहा है
हिजरी मतलब इस्लामिक सम्वत 1438 -39 चल रहा है
चन्द्रमा मीन राशि में
सूर्य मीन राशि में
अमावस्या को सूर्य चन्द्र एक राशि में होते है
पूर्णिमा को आमने सामने होते है
यह जन्म चक्र जो 12 राशि का बनता है
उसे बनाकर समझा जा सकता है
वर्ष के 365 दिवस होते है
यदि
10 का वर्ग मतलब 100
11 का वर्ग वर्ग मतलब 121
12 का वर्ग मतलब 144
को जोड़ेंगे तो 365 आएगा
ऋग्वेद के मंडल एक सूक्त 164 मन्त्र 48 में यह वर्णन आता है
मन्त्र 11 भी इसका संकेत करता है
मीमांसा सूत्र में कहा है
संवत्सरो विचालित्वात (6 /2 / 38
मतलब संवत्सर में 360 दिन होते है यह चन्द्र संवत्सर गणना है
सौर मान नहीं है
कृत मतलब4800 देव वर्ष
त्रेता मतलब 3600 देव वर्ष
द्वापर मतलब 2400 देव वर्ष
कलियुग मतलब 1200 देव वर्ष
इसमें सन्धि वर्ष भी होते है
जब उस युग की छाया होती है
जो बीत गया है
और जो प्रवेश करने वाला है
वह पूर्ण नहीं आया है
देवत या देव वर्ष को जब 360 से गुणा करते है तब मानव वर्ष आते है
तब एक चतुर्यगी पूरी होती है
मतलब एक चतुर्युगी में 4320000 वर्ष होते है
71 चतुर्यगी पूर्ण होने पर एक मन्वन्तर होता है
और जब चौदह मन्वन्तर पुरे होते है तब एक ब्रह्म दिवस होता है
सूर्य सिद्धान्त का पहला अध्याय
परन्तु जब 71 को 14 से गुणा करते है
तब कुल योग 994 होता है
तब कुल 15 संधियों को जोड़ा गया है सूर्य सिद्धान्त पहला अध्याय
श्लोक 19
इसकी व्याख्या
छह चतुर्युगी 120000 गुणा 006 = 15 संधि बराबर 4800 गुणा 15 7200
मतलब
119228000 में जोड़े 72000 आएगा 12000000 एक कल्प या एक सृष्टि के
कुल वर्ष
काल गणना का विषय समझने के लिए
आर्ष ग्रंथों
सूर्य सिद्धान्त
मनु स्मृति
आदि को पढ़े
सन्धि काल का विषय स्वामी युक्तेश्वर गिरी की पुस्तक केवल्य दर्शनम
लेखन वर्ष 1894 ईस्वी में बहुत विस्तृत बताया गया है

(साभार)

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