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केजरीवाल जी पंजाब में प्रचार कर दिल्ली की ओर लौट रहे थे..अकेले थे..रास्ते में गाड़ी खराब हो गयी... रात काफी थी..एकदम घना अंधेरा था...मोबाईल का नेटवर्क भी नहीं था....सर जी की डर से काँप रहे थे, पैंट गीली, पीली होने वाली थी... ना कोई आगे ना दुर दुर तक कोई पिछे ...अब सर जी ने गाड़ी साइड में लगा दी और लिफ्ट के लिये किसी गाड़ी का इंतेजार करने लगे... काफी देर बाद एक गाड़ी बहुत धीमे धीमे उनकी ओर बढ रही थी...सर जी की जान में जान आयी ...सर जी ने गाड़ी रो रोकने के लिये हाथ दिया ...गाड़ी धीरे धीरे रूक रूक कर उनके पास आयी...सर जी ने गेट खोला और झट से उसमें बैठ गये।

लेकिन अंदर बैठकर सर जी के होश उड़ गये...गला सुखने लगा... आँखे खुली रह गयी ... छाती धड़कने लगी... उन्होंने देखा कि ड्राइविंग सीट पर कोई नहीं है...गाड़ी अपने आप चल रही थी ... एक तो रात का अंधेरा ...उपर से यह खौफनाक दृश्य ...सर जी को समझ ही नहीं आ रहा था अब क्या करूँ .. बाहर जाऊँ की अंदर रहूँ ... सर जी कोई फैसला करते की सामने रास्ते पर एक मोड़ आ गया ... तभी दो हाथ उनके बगल वाले काँच पर पड़े और गाड़ी मुड़ गयी ...और फिर हाथ गायब ...अब तो सर जी की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी...हनुमान चालिसा शुरू कर दी...अंदर रहने में ही भलाई समझी ...

गाड़ी धीरे धीरे ..रूक रूक कर आगे बढती रही ... तभी सामने पेट्रोल पंप नजर आया ...गाड़ी वहाँ जाकर रूक गयी ...सर जी ने राहत की साँस ली और तुरंत गाड़ी से उतर गये .. पानी पिया ..इतने में सर जी ने देखा एक आदमी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठने के लिये जा रहा है...वह दौड़ते हुये उसके पास पहूंचे और उससे कहा "इस गाड़ी में मत बैठो ...मैं इसी में बैठकर आया हूँ ... इसमें भूत है"
उस आदमी ने केजरी के गाल पर झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ा और कहा... "ढक्कन, गधे कहीं के... तु बैठा कब रे इसमें? ...तभी मैं सोचूँ गाड़ी एकदम से भारी कैसी हो गयी ...यह मेरी ही गाड़ी है...पेट्रोल खतम था तो पाँच कि.मी. से धक्का मारते हुये ला रहा हूँ .."

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