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जब हम छोटे थे, गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे, हमें अच्छी तरह याद है बाबूजी हमें स्कूल छोड़कर आते थे। हमारे स्कूल के मुंशीजी हमे बताते थे हिन्दू मुसलमान भारत मांता की दो आखें हैं, सिक्ख इसाई इसके हाथ हैं। हम और बड़े हुये तो आठवीं में पहुचे हमारे स्कूल में करीब दर्जन भर अध्यापक बच्चों को पढ़ाते थे, उनमें दो मुसलमान थे। प्रिंसपल का नाम अहमद हुसेन था। वे मुंसलमान थे फिर भी न जाने मुझे क्यों मानते थे। हालांकि मै उन्हे उतना नही मानता था, इसके पीछे हिन्दू मुसलमान कारण नही था, बल्कि मैं गणित में काफी कमजोर था और वे गणित के मास्टर थे। करीब 300 छात्र छात्राओं में मुझे बहुत चाहते थे।

बिना कोई अतिरिक्त फीस लिये ट्यूशन भी देने को तैयार रहते थे। पूरा स्कूल इस बात को जानता था। हमारे उनके बीच चाहत एकतरफा थी, गणित का मास्टर होने के नाते मैं उन्हे नही पसंद करता था, जानता था अभी क्लास में आयेंगे तो हमसे कठिन सवाल हल करायेंगे। मै छोटा था, इतनी समझ नही थी, वे मुझे चाहते थे मै उनसे दूर भागता था। बोर्ड एग्जाम आ गये, मैने एक दिन हिम्मत करके उनसे पूछ लिया ‘सर आप मुझे बहुत मानते हैं क्यों? उन्हे जवाब देने में वक्त नहीं लगा, बोले हम तुम्हे गणित का प्रोफेसर बनाना है।‘‘ मेरे लिये एवरेस्ट चढ़ने जैसा था। फिलहाल मै अच्छे नम्बरों से पास हुआ। उन्हे भी खुशी हुई। उनकी इच्छानुसार मै प्रोफेसर नही बन पाया, जिंदगी के तमाम उतार चढ़ाव का सामना करते हुये आखिरकार मै कलमकार बन गया। 

मुझे गुरूजी से कोई शिकायत नहीं, हमे लगता है हमारे पास आज विचारों और चरित्र की जो ताकत है वह उन्ही के दिये कच्चे माल से तैयार हुआ है। लेकिन एक बात आज तक समझ में नही आयी, मेरे गुरूजी मुसलमान थे फिर मुझे इतना क्यों चाहते थे। आज वे होते तो मै उनसे ये सवाल जरूर पूछता। हां मुझे शिकायत है प्राइमरी वाले मुंशीजी से जिन्होने कहा था हिन्दू मुसलमान भारत मां की दो आखें हैं। मै दावे के साथ कह सकता हूं मेरे गुरूजी ने झूठ कहा था, या फिर इन फिज़ाओं में कोई तो है जो लगातार ज़हर घोल रहा है। दरअसल दोनो आखें तो एक दूसरे को देखना ही नही चाहती, मेल मोहब्बत से साथ रहना तो सपनों के जैसा है। तभी तो हमारे देश की विश्व विख्यात गंगा जमुनी तहजीब आज दागदार हो रही है। एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत हिन्दओं मुसलमानों में नफरत पैदा की जा रही है। देश का माहौल भी ऐसा बन गया है कि इसकी पैदावार दिन दूना रात चैगुना हो रही है। निस्संदेह परिणाम भयावह होंगे। सरकार और समाज चाहे इसे सकारात्मक रूप में लेकर ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हे कठोर दंड दे, अथवा नफरत की चिंगारी को शोला बनने का इंतजार करे। लेकिन बात वहां तक पहुंची तो इतिहास हमे कभी माफ नही करेगा, फिर न मोदी बचा पायेंगे देश को और न योगी।

एक बार फिर यही हिन्दू मुसलमान सिक्ख सभी एकजुट होकर भारत का अस्तित्व और गंगा जमुनी तहज़ीब को बचाने की खातिर आगे आयेंगे। क्योंकि हर प्रलय के बाद निर्माण होता है, आखें खुल जाती है, समझ में आ जाता है कि हमारी रगों में कौन जहर पिरो रहा था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हम न जाने कितने अपने को खो चुके होते हैं। केवल कहांनियां बंचती हैं। हमें आज भी प्राइमरी वाले मुंशीजी की बातें सच लगती हैं। मेरे कई मुसलमान दोस्त हैं, वे मुझे बेइन्तहां चाहते हैं। हमें लगता है यह देश सबका है, यहां की फिज़ाओं में आज़ादी की जो हवा बह रही है उसमें तो हिन्दू मुसलमान सिक्ख इसाई सभी के लहू की खुशबू आती है, फिर वे गैर जरूरी कैसे हो सकते हैं।

हां यह माना जा सकता है कुछ कट्टपंथी हिन्दुओं में भी है मुसलमानों में भी। शायद आबो हवा की गंदगी उन्ही की गंदी सोच का नतीजा है। एक पाकिस्तान का झण्डा जलाता है दूसरा हिन्दुस्तान का। एक मस्जिद में गोश्त के टुकड़े फेंककर अमन चैन बिगाड़ने की कोशिश करता है दूसरा मन्दिर में। ऐसे कट्टरपंथियों को कत्तई नजरअंदाज नही किया जा सकता। हम जहां रहते है जिस मिट्टी में पले बढ़े हैं वहां की खिलाफत तो कोई नही बर्दाश्त करेगा। हिन्दुस्तान में एक और हिन्दुस्तान बसाने की मंशा तो कभी साकार नही होगी। किसी ने कहा था एक साथ रहो वरना एक साथ मिट जाआगे हमें सच लगता हैं। देश इक्कीसवीं सदी की आरे तेजी से जा रहा है और हम हिन्दू मुसलमान लेकर बैठे रहे तो तरक्की रूक जायेगी।

हम जहां रहते हैं (बस्ती जनपद मुख्यालय) वहां की बात करें तो पिछले एक सप्ताह में दो घटनायें चिंता बढ़ाने वाली हुई। इनमे एक ईद के ऐन मौके पर। दूसरा रविवार की शाम को। दोनो ही आग लगाने वाले थे। मुसलमानों के पैगम्बर के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गयी आपत्तिजक टिप्पणी से त्योहार पर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गयी, सैकड़ों की संख्या में मुसलमान कोतवाली पहुंच गये, वे आरोपी को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। भीड़ को शांत करने में पुलिस को पसीने छूट रहे थे। फिलहाल पुलिस की ओर से 24 घण्टे का वक्त लिया गया। आरोपी को गैर जनपद से गिरफ्तार किया गया तब जाकर मुसलमानों का आक्रोश थमा।

अभी यह मामला शांत नही हुआ था कि रविवार शाम को राम मंदिर को लेकर मुसलमानों को भद्दी गालियां देते हुये एक युवक ने वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। एक बार फिर मामला गरम हो गया। इस बार पुरानी बसती थाना घेरा गया। आरोपी की पहचान हुई। इस बार वे स्थानीय निकले। पता चला रेलवे स्टेशन के निकट चइयाबारी मोहल्ले के हैं। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुये आरोपी चाई पुरवा निवासी करन निषाद, आनंद चैहान को धर दबोचा। दोनो से पूछताछ चल रही है। दोनो घटनायें सुनियोजित थीं। यहां की शांति व्यवस्था बिगाड़ने की पूरी कोशिश की गई। प्रशासन को इन मामलों में चैकन्ना रहना होगा। ऐसे लोगों को चिन्हित करना होगा। केवल औपचारिकता से ऊपर उठकर घटनाओं की तह तक जाना होगा, आखिर ऐसी मानसिकता क्यों पनप रही है कौन उन्हे इस्तेमाल कर रहा है।

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