हम भारतीयों को मुफ़्तखोरी की आदत
We Indians love freebies..कुछ भी हो जाए बस मुफ्त का माल मिलते रहना चाहिए....शायद आज हमारी जो कुकुरगत्त है उसका एक बड़ा कारण हमारी यही अपेक्षाएं है...
We Indians love freebies....
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कुछ भी हो जाए बस मुफ्त का माल मिलते रहना चाहिए....शायद आज हमारी जो कुकुरगत्त है उसका एक बड़ा कारण हमारी यही अपेक्षाएं है...चुनाव सर पर हों तो कहने ही क्या...मतदाता मदारी है और नेता जमूरा......जैसा मर्जी नचाओ...जमूरे ये करेगा...करेगा उस्ताद.....जमूरे वो करेगा....करेगा उस्ताद....लेकिन ये मदारियत महज दो तीन महीने की ही होती है.....उसके बाद पांच साल जमूरा उस्ताद को उल्टा-सीधा जैसा मन करे लिटाकर-उठाकर पेलता है....
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चुनावों के समय के लोक लुभावन और अविश्वसनीय वादे...क्यों किये जाते हैं आखिर ?? कारण हमारी मुफ्तखोरी ही तो है....नेता भी हमारे ही बीच से निकलते हैं इसलिए जनमानस का मनोविज्ञान समझते हैं.....विरासत वाला नेता हो तो भी उसके पास एक टीम होती है जो इस बात पर शोध करती रहती हैं कि मुफ्तखोरों को कौन सा लालच दिया जाए जो इस बार फिर से इन्हें मूर्ख बनाने में सफल रहें... और ऐसे केवल हम नहीं हैं....हमारे पूर्वज भी थे...वहीँ से परम्परा चली आ रही है... अंग्रेजों ने भी हमारी इसी मुफ्तखोरी का लाभ उठाया अब राजनेता उठा रहे हैं........
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मेरी समझ से तो मोदी परले दर्जे का मूर्ख इंसान है जो कहता है मैं तुम्हें रोजगार नहीं दूंगा.....मैं तुम्हे इस काबिल बनाऊंगा कि तुम कई लोगों को रोजगार दे सको.... मैं तुम्हें भीख लेने वाला नहीं भीख देने लायक हैसियत का बनाना चाहता हूँ..... मगर हम ठहरे साले परम्परागत भिखारी....क्यों सुनें मोदी की....हमें तो वो चाहिए जो फ्री में चावल,गेहूं,घी,मोबाइल,लैपटॉप,वाईफाई आदि दे...फ़ोकट का खाना पेल हम खटिया पे बैठ फ़ोकट के मोबाइल/लैपटॉप पर फ़ोकट के वाईफाई से दिन भर इंटरनेट पर सर्फिंग करें....गाने सुने....मूवी देखें...मुस्टंड बने रहें...
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हमें वो नेता नहीं चाहिए जो शिक्षा,चिकित्सा,स्वरोजगार की बात करे.....हमें चाहिए फ्री में घी देने वाले नेता ताकि वो घी लगाकर हम पांच साल तक उससे मरवाने के लिए तैयार रहें......हमें चाहिए वो नेता जो साढ़े-चार साल तो मुंबई की बार-डांसरों को बुला उनके साथ ठुमके लगाते रहे और आखिरी छः महीने में विकास की याद आई तो आनन्-फानन में कुछ घोषणाएं कर डाली.......
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हँसी आती है उन समर्थकों पर जो लखनऊ में हुए विकास को पूरे उत्तर प्रदेश का विकास समझते हैं...कभी उत्तर प्रदेश के सुदूर गाँव देहात देखे हैं ?? देखो तो पता चले कि किन् हालात में है उत्तर प्रदेश....एक आध ऐसे हैं जो उत्तर प्रदेश की तुलना गुजरात से करते हैं.....अबे अगर यही सरकार रही तो लिख के ले लो....अगले 100 साल में भी उत्तर प्रदेश गुजरात नहीं बन सकता...
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वोट आपका है....आपकी मर्जी है कि स्वाभिमान चाहिए या भिखारी का टैग ??