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बे तरतीब जीवन शैली की वजह से वास्तविक जीवन की दिक्कतें जब सर चढ़ कर बोलने लगती है तो मैडम X फेसबुक पर एक अकाउंट बनाकर समाज देश और धर्म की ऐसी तैसी करने लग जाती हैं.....!

अब चूँकि किचन में काम करना उनको अपनी तौहीन कराने जेसा लगता है,पुरूष समाज का उन पर किया अत्याचार लगता है और तिस पर अगर गलती से उनकी सब्जी जल गयी तो उसके एवज में वह फेसबुक पर पुरुषों को रगड़ती हुई वह घातक पोस्ट करेंगी की आधे से अधिक पुरुष फेसबुकिया समाज क्षत विक्षत हो जाता है....रही सही कसर चरण चंपी करने वाले पूरी कर देते है...जबकि हकीकत यह है की जिस पुरूष समाज को वह अपनी पोस्टों में पीटती है उसी पुरूष समाज के एक सदस्य (उनका पिता पति भाई) से रिचार्ज कराने के लिये भी कहती है...!

मैडम X की माता जी ने अगर कहा की बेटी/बहू सुबह उठकर कुछ पूजा पाठ किया करो ईश्वर भजन किया करो तो यह भी उन्हें नागवार गुजरता है....अब माता जी को कौन बताये की देर रात तक हुई फेसबुकीय वार्ताओं से मैडम जी आँख सुबह किधर खुलने वाली है....इसका असर यह होता है की मैडम फेसबुक पर देवी देवताओ के अस्तित्व पर ही सवाल उठा देती है.... यह तो वही बात हुई की न रहेगा बांस न बजेगी बाँसुरी...मने देवी देवता को ही न मानो अपने आप पूजा पाठ सुबह उठने से छुट्टी मिल जायेगी....!

आफिस से लौटे थके हारे पति ने अगर एक कप चाय मांग ली और उस वक्त मैडम X किसी पोस्ट पर गहन चर्चा में लगी है तो फिर पति गया उनके ठेंगे पर.उसको चाय पीनी होगी तो वह खुद बना लेगा....उनकी यह हरकत देख पति ने अगर कुछ कड़े शब्द कह दिए तो मैडम का गुस्सा उनकी आधुनिक बेसिर पैर की कविताओं में टपक पड़ेगा जहाँ पति समाज को शोषक भावहीन और निर्दयी करार दिया जायेगा और उस कविता के लिये ज्ञान पीठ लेकर कमेंट बॉक्स में आठ दस दीदु बेटू बाबू वाले लोग फोकटिये बने तैयार मिलेंगे...!

सुदूर किसी देश में कोई कांड होता है तो मैडम की फेसबुक वाल ग़म के आँसू से हफ़्तों गीली रहती है... जबकि वही झाड़ू पोछा करने वाली बाई 200 रुपये एडवांस मांगती है क्योकि उसके बच्चे की तबियत सही नही है तो यह उन्हें उसका बहाना लगता है....!

मैडम X के बच्चे के मार्क्स पिछले कई टेस्ट में कम आ रहे है पर वह मायने नही रखता क्योंकि मैडम सोशल मिडिया पर महिलाओं को क्या पहनना चाहिये और क्या नही पहनना चाहिये इस विषय पर पोस्ट लिख लिख जकरवर्ग को भी छठी का दूध याद दिलाने में लगी है...!

घर से हजार किलोमीटर दूर कोई बात होती हैं वह मैडम को तुरंत पता चल जाती है...पर घर पर बीमार पड़े पिता जी की दवा दो दिन से नही है वह उन्हें कई बार बोलने पर भी याद नही रहता...!

ओये मैडम सुनो आपकी जो यह क्रांति कारी हरकते है न यह असल में एक झुठी शान है जिसके तले आप अपनी असल जिंदगी की नाकामी छिपा रही हो...औरतों की निजता सम्मान आजादी जेसे शब्द हरदम से चलन में रहे है.... हमारे यहाँ औरत को देवी का दर्जा दिया गया है...आपकी यह मार्डन सोच न केवल आपके वैचारिक खोखलेपन को दिखाती है बल्कि यह भी सिद्ध करती है की आप अंदर से कितनी अकेली हैं.... छोड़िये यह मोह माया घर परिवार और असल जिंदगी में सामंजस्य बिठा कर चलिए सब सुख वही है...आपके परिवार को आपकी जरूरत है..बाकि यह लाइक्स कमेंट्स और शेयर खालिस मोह माया ही हैं...!

विशाल सिंह सूर्यवंशम

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