*अंबेडकर जयंती: समता, न्याय और संघर्ष का पर्व*
14 अप्रैल का दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वे केवल एक समाज सुधारक नहीं थे, बल्कि आधुनिक भारत के निर्माता, संविधान के शिल्पकार, और सामाजिक न्याय के प्रहरी भी थे। अंबेडकर जयंती केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है – समता, बंधुत्व और न्याय की ओर बढ़ने की।
डॉ. अंबेडकर का जीवन सामाजिक न्याय को समर्पित था। उन्होंने अस्पृश्यता, जाति-व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष किया।
उन्होंने संविधान में समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय जैसे मूलभूत सिद्धांतों को शामिल किया।
डॉ. अंबेडकर ने जो सपना देखा था – एक ऐसा भारत जहाँ जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो l
उन्होंने कहा था:
"हमारा जीवन महान सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए - स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व।"
आज जब हम उनके आदर्शों को याद करते हैं, तो यह आवश्यक है कि हम भी समानता, शिक्षा और मानवता के उनके रास्ते पर चलें। तभी हम सच्चे अर्थों में उनकी जयंती को सार्थक बना सकते हैं।
यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि अगर एक व्यक्ति अपने आत्मबल, शिक्षा और संकल्प के साथ उठ खड़ा हो, तो वह पूरी व्यवस्था को बदल सकता है।